विज्ञान दिवस पर विशेषः डॉ. राजेश सिंह ने विज्ञान से संबंधित 500 पेटेंट कराकर किया उत्तराखंड का नाम रोशन
मां के स्नेह आंचल की छांव में प्रोफेसर डॉ. राजेश सिंह की समाज व शिक्षा जगत में अपनी अलग पहचान इनकी अपनी काबलियत व इनकी बेबाकियों के कारण से है। विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. राजेश सिंह ने बड़ा मुकाम हासिल किया है। उनके 39 इंडियन पेटेंट, 63 इंटरनेशनल पेटेंट, 500 इंडियन पेटेंट पब्लिश हो चुके हैं। उन्हें 5 इंटरनेशनल कॉपीराइट ग्रांट व 50 इंडियन कॉपीराइट ग्रांट प्राप्त हो चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विषम परिस्थितियों में माता ने किया लालन पालन
प्रोफेसर डॉ. राजेश सिंह का जन्म उत्तराखंड राज्य के जिला देहरादून के विकासखंड सहसपुर के अंतर्गत ग्राम मजोन (पौंधा) में हुआ। मात्र चार वर्ष की आयु में पिता की अचानक मृत्यु हो जाना परिवार के लिए एक बड़ा आघात था। तब माता जी ने पहाड़ जैसी विषम परिस्थितियों में ना जाने कितने कष्टों को सहकर इनका व इनके भाईयों व बहनों का लालन पालन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हासिल की कई उपलब्धियां
कहते हैं कि जब कोई मुकाम हासिल करना हो तो बाधाएं आसपास भी नहीं फटकती हैं। माता जी की छत्रछाया में ही प्रोफेसर डॉ राजेश सिंह की शिक्षा- दीक्षा देहरादून में ही पूरी हुई। पीएचडी, एम टेक गोल्ड मेडलिस्ट के साथ ही वह डारेक्टर डिवीजन एंड रिसर्च इनोवेटर है। उनके 39 इंडियन पेटेंट, 63 इंटरनेशनल पेटेंट, 500 इंडियन पेटेंट पब्लिश हो चुके हैं। उनको 5 इंटरनेशनल कॉपीराइट ग्रांट व 50 इंडियन कॉपीराइट ग्रांट प्राप्त हो चुके हैं। उनकी ओर से अभी तक 17 छात्रों को पीएचडी करवाई जा चुकी है। 7 लोगों के ये स्टार्टअप मेंटर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिल चुके हैं कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
डॉ राजेश अंतर्राष्ट्रीय कोलोब्रेशन में भी हैं। इनको कई जगह से रिसर्च हेतु रिसर्च ग्रांट प्राप्त हैं। अनेकों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। इसमें मुख्य रूप से राष्ट्रपति भवन में गांधीयन यंग टेक्नोलॉजिकल अवॉर्ड 2018, यंग इन्वेसिटिकेटर अवॉर्ड 2012, 2009 में गोल्ड मेडल मिल चुका है। ये 37 रिसर्च पेपर व पुस्तकें अभी तक लिख चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तरांचल टेक्निकल यूनिवर्सिटी में निदेशक हैं डॉ. राजेश
इनके भारतीय एवं विदेशी मीडिया में अनेकों लेख व साक्षात्कार प्रकाशित हो चुके हैं। ये इंटरनेशन मेंटर आफ द स्टूडेंट हैं। इनके कई छात्रों भारत से लेकर टेक्साल तक अपनी काबिलियत के ध्वजवाहक बने हैं। इन्होंने असंख्य स्थानों पर सेशन व लेक्चर देकर छात्र- छात्राओं को लाभान्वित किया है। वर्तमान में वह उत्तरांचल टेक्निकल यूनिवर्सिटी में निदेशक के पद को सुशोभित कर रहे हैं। इससे पहले ये उत्तराखंड पेट्रोलियम युनिवर्सटी व लवली प्रोफेशनल युनिवर्सटी में भी कई वर्षों तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आध्यात्म और धार्मिक आस्था का भी जीवन पर असर
चाहे नदी के तेज बहाव के बीच स्कूल पहुंचना हो, खेती किसानी करते हुए परिवार की जिम्मेदारी में सहभागी बनना हो, या आभावों के कारण आवश्यकता होने पर भी कई बार मौन रहना हो। ऐसी परिस्थितियों में भी इन्होंने कभी समझौता न कर अपने जुनून से महत्त्वपूर्ण मुकाम हासिल कर समाज को राह दिखाने को कार्य किया। चूंकी, इनकी माता जी धार्मिक भावनाओं वाली एक घरेलू महिला हैं। इसी कारण माता जी की आध्यात्म व धार्मिक आस्था का प्रभाव इनके व्यक्तित्व विकास में सहायक रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कई मौके पर हाथों से परिवार के लिए बनाते हैं भोजन
डॉ राजेश सिंह बचपन से ही बहुत संकोची व चुप रहने वाले रहे। इनके अंदर परिवार की अवधारणा गहराई तक रची बसी है। यही कारण है कि इतने अहम पद पर रहने के उपरांत भी अपनी माता जी, भाई व बहनों से मिलने व्यस्तम समय में भी जाते हैं। कई बार पारिवारिक सदस्यों के लिए उनके पसंद का भोजन भी स्वयं ही बनाकर उन्हें खिलाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्रामीण समस्याओं और समाधान पर चिंतन
डॉ. राजेश सिंह की पत्नी व दो जुड़वा बेटियां इनके परिवार का हिस्सा हैं। प्रोफ़ेसर डॉ राजेश सिंह एक होनहार छात्र रहे हैं। ये जरूरत मंदो की मदद करना पसंद करते हैं। इनका मानना है कि कई बार उनको भी कई लोगों की मदद मिली है। डॉ राजेश सिंह पहाड़ी ग्रामीण परिवेश से संबंध रखते हैं। इसीलिए इनका चिंतन ग्रामीण समस्याएं, उनका समाधान व विकास पर ज्यादा रहता है। इसीलिए इनके ज्यादातर इनोवेशन नीड़ बेस व जनोपयोगी रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जन-जन के जमीनी वैज्ञानिक
डॉ. राजेश सिंह गाते बहुत अच्छा है। इनको प्रकृति व पहाड़ों पर घूमना फिरना शुरू से ही पसन्द है। इन्होंने कोरोना जैसे आपात काल में अपने उपयोगी इनोवेशन से जो जनमानस की सेवा की है वो अविस्मरणीय है। इनके महत्त्वपूर्ण इनोवेशन से अनेकों छात्र न केवल धनाढ्य बने, बल्कि इनके व अपने कार्यों की ख्याति दूर दूर तक फैलाई। इनके ज्यादातर इनोवेशन नीड़ बेस व जन उपयोगी रहे हैं। इसी आधार पर यह कहना ग़लत ना होगा कि डॉ राजेश सिंह जन-जन के जमीनी वैज्ञानिक हैं।
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