उत्तराखंड सरकार यूसीसी पर थपथपा रही पीठ, कांग्रेस का अग्निपथ योजना के खिलाफ अभियान

एक तरफ उत्तराखंड में बीजेपी सरकार गदगद है। कारण ये है कि बीजेपी सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लेकर विधानसभा में बिल पारित हो गया है। इसे जल्द ही कानून बना दिया जाना तय है। हालांकि यूसीसी से जनजातियों को बाहर रखा गया है। ऐसे में ये बिल भी हिंदू मुसलमान बनकर रह गया है। जनजातियों में भी कई प्रथाएं ऐसी हैं, जिसे समाज शायद ही स्वीकार करे, लेकिन बड़ा वोट बैंक होने के चलते इसे सरकार ने इसे यूसीसी से अलग रखा, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल भी वोट बैंक के मद्देनजर इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। फिलहाल तस्वीर ये है कि यूसीसी को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। साथ ही इसके फायदे गिनाने के लिए बीजेपी की योजना गांव गांव जाने की है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस रोजगार का मुद्दा उठाकर बीजेपी के इस प्रचार की काट में जुटी हुई है। रोजगार का मुद्दा भी सेना में भर्ती को लेकर फोकस है। यानि कि अग्निपथ योजना। इस योजना के खिलाफ कांग्रेस ने अभियान शुरू किया है। हालांकि, उत्तराखंड में इस अभियान के तहत अभी तक प्रदेश कांग्रेस सोई हुई है। कारण ये है कि ये अभियान 31 जनवरी को शुरू हो गया था। उत्तराखंड में इसे लेकर कांग्रेस की ओर से इस तिथि से लेकर और आज से पहले तक कोई बयान प्रेस को जारी नहीं किया गया। आज उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय में हुई प्रेस वार्ता में ही ये बात पता चली कि कांग्रेस ने अग्निपथ योजना की खामियों को लेकर 31 जनवरी से कोई अभियान चलाया हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव प्रवीन डॉवर ने आज देहरादून में उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के जरिये मोदी सरकार ने 1.5 लाख युवाओं के सपनों को चकनाचूर कर दिया। नियमित भर्ती के तहत कठिन मानसिक और शारीरिक परीक्षण के बाद उनकी सैन्य बलों में भर्ती होनी थी। भाजपा ने करोड़ों युवाओं को धोखा दिया है। भर्ती की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन युवाओं को भर्ती करने की बजाय अग्निपथ योजना लाई गई। स्थिति ये है कि बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर है। ऐसे में 31 जनवरी को राहुल गांधी ने उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए जय जवान अभियान शुरू किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 31 जनवरी बिहार में राहुल गांधी की ओर से शुरू किए गए एक राष्ट्रव्यापी अभियान – जय जवान अन्याय के विरुद्ध न्याय का युद्ध, के माध्यम से युवा न्याय सुनिश्चित करेगी। यह अभियान 1.5 लाख युवाओं की दुर्दशा पर प्रकाश डालता है, जिन्हें कठोर चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद 2019 और 2022 के बीच एक नियमित भर्ती अभियान में हमारी तीन गौरवशाली सैन्य बलों – भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना में स्वीकार किया गया था। उन्हें सारी प्रक्रियाओं के बाद भी भर्ती से वंचित कर दिया गया। क्योंकि मोदी सरकार ने अचानक सशस्त्र बलों पर अग्निपथ योजना थोप दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महत्वपूर्ण मांगे
-अग्निपथ योजना लागू होने पर 1.5 लाख युवाओं से क्रूरतापूर्वक छीनी गई नौकरियां वापस करें।
-सैन्य बलों के लिए पिछली भर्ती प्रणाली को बहाल करें।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रव्यापी जय जवान अभियान तीन चरणों में आयोजित किया जा रहा है। ये अभियान31 जनवरी से शुरू हुआ और 20 मार्च तक चलेगा। चरण- 1 के तहत 30 लाख परिवारों तक पहुंचना लक्ष्य है। इसकी अवधि 1 फरवरी से 28 फरवरी तक है। (हालांकि, उत्तराखंड कांग्रेस की ओर से चरण एक को लेकर कोई प्रेस नोट नहीं आया। ऐसे में यहां के नेता ही राहुल गांधी के प्रयासों पर पलीता लगा रहे हैं। आज आठ फरवरी है। अब इस दिन इसे लेकर प्रेस वार्ता की जा रही है।) (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चरण एक के तहत कार्यक्रम
प्रवीन डॉवर ने बताया कि इसके तहत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की ओर से रक्षा परिवारों (वर्तमान व पूर्व) को न्याय पत्र (एक फॉर्म और पत्रक के साथ) वितरित किया जाएगा और सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं से आंदोलन में शामिल होने और समर्थन करने का अनुरोध किया जाएगा। न्याय पत्र परिवारों की ओर से अपने हस्ताक्षर के साथ भरा जाएगा और यह जानकारी डिजिटल रूप में दर्ज की जाएगी। साथ ही न्याय पत्र का स्टिकर घर के दरवाजे पर लगाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चरण -2 सत्याग्रह
इस चरण में लक्ष्य है कि अधिक से अधिक युवाओं और उनके परिवारों तक पहुंचा जाए। साथ ही जानकारी इकट्ठा करना और उन्हें चल रहे अभियान के बारे में जागरूक करके शामिल करना। ये चरण 5 मार्च से 10 मार्च तक चलेगा। इसके तहत सभी प्रखंडों, शहरों में धरने दिए जाएंगे। साथ ही एक समन्वय समिति का गठन करना है। यह धरना शहीद चौक या गांधी चौक जो कि आम तौर पर हर शहर में होते हैं, वहां आयोजित किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चरण- 3 न्याय यात्रा (पदयात्रा)
इसके तहत सभी जिलों में 50 किलोमीटर तक पदयात्रा निकालने का लक्ष्य है। इसकी समय अवधि 17 मार्च से 20 मार्च तक है। इसके तहत प्रत्येक जिले में सैनिकों के लिए न्याय यात्रा का आयोजन किया जाएगा। इसमें 50 किलोमीटर की पदयात्रा की जाएगी। यह यात्रा संयोजक समिति और न्याय योद्धाओं के नेतृत्व में निकाली जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गिनाई योजना की खामियां
-उन्होंने बताया कि अग्निपथ में चयनित युवाओं को सेना के नियमित सैनिकों की तुलना में कम वेतन मिलता है (कुल मासिक वेतन लगभग 21 हजार रुपये ही होता है, जबकि नियमित सैनिकों को 45 हजार रुपये मिलते हैं)। इन युवाओं को महंगाई भत्ता की सुविधा भी नहीं मिलती है। सैन्य सेवा वेतन भी नहीं मिलता है।
– शहीद होने के बाद भी उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिलता है। इसके कारण उनके परिवारों को वह सहयोग और समर्थन नहीं मिल पाता है, जो एक नियमित सेना के जवान को मिलता है। उदाहरण के लिए एक नियमित सेना के जवान को 15 साल तक पूरा वेतन मिलता है और उसकी पेंशन उसके जीवनकाल तक होती है, जबकि अग्निपथ में चयनित युवा के परिवार को तब तक लाभ मिलता है जब तक पत्नी और माता-पिता जीवित हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-अग्निपथ में चयनित युवा किसी भी प्रकार की चिकित्सा और अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकते हैं, जो नियमित सेना कर्मियों को उपलब्ध है। जैसे नियमित सैनिकों को 15 साल तक फुल पे मिलती है और रिटायरमेंट उम्र आने पर यह वेतन उसकी फैमिली पेंशन में तब्दील हो जाता है। जो कि ताउम्र उसके परिवार को मिलती रहती है। जब तक पत्नी व माता-पिता जीवित रहते है।
-एक सैनिक की शहादत पर दिए जाने वाला इंश्योरेंश 75 लाख रुपए तक का होता है।
– नियमित सैनिक को 55 लाख रुपए एक्स-ग्रेसिया अमाउंट जितनी राशि मिलती है।
-नियमित सैनिक को मेडिकल फैसिलिटी मिलती है।
-नियमित सैनिक को सीएसडी की फैसिलिटी मिलती है।
-नियमित सैनिक को वे सभी तरह के मिलिट्री बेनेफिट जो सरकार कभी भी अनाउंस करती, वह मिलता है।
-अग्निपथ योजना में चार साल बाद भी फिर से जवान को बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा।
-अग्निपथ में चयनित युवाओं को स्थायी नौकरी की गारंटी नहीं दी जाती है, जिसके कारण उन्हें असुरक्षित महसूस करना पड़ता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अग्निवीर को रिटायरमेंट के बाद ये नहीं मिलेगा
-ग्रेच्युटी, चिकित्सा सुविधाएं, पेंशन, कैंटीन सुविधाएं, पूर्व सैनिक का दर्जा, पूर्व सैनिकों और उनके बच्चों के लिए आरक्षित रिक्तियां, बच्चों के लिए छात्रवृत्ति और कोई भी सैन्य लाभ जो सरकार कभी भी नियमित सैनिकों के लिए घोषित करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-कैरियर के अवसरों की कमी
-आरटीआई के अनुसार, 2022-23 में सेना में आवेदन करने वालों की संख्या 34 लाख थी, जो 2023-24 में 10 लाख के करीब हो गई है। इसका स्पष्ट संकेत है कि युवाओं का सेना की ओर रुझान अब घट रहा है।
-हाल के दिनों में यूपी कांस्टेबल की भर्ती में 50 लाख से भी अधिक आवेदन किए गए हैं, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 4 साल के अग्निवीर बनने की जगह, वे दूसरे क्षेत्रों में रोजगार की खोज कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मोदी सरकार ने युवाओं के सपने किए चकनाचूर
– बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। बेरोजगारों की संख्या 1 करोड़ (2012) से चौगुना होकर 4 करोड़ (2022 तक) हो गया है।
– तीन में से एक ग्रेजुएट नौकरी की तलाश में है। इंजीनियर कूली के रूप में काम कर रहे हैं और पीएचडी रेलवे चपरासी के रूप में आवेदन करने पर मजबूर हैं।
-सरकार ने जीएसटी और विमुद्रीकरण और अनियोजित लॉकडाउन जैसी नीतियों से 90 प्रतिशत नौकरियां पैदा करने वाले एमएसएमई को नष्ट कर दिया है। परिणामस्वरूप, युवा कम वेतन वाली कृषि नौकरियों के लिए अपने गांवों में वापस चले गए हैं।
– हर घंटे दो बेरोजगार व्यक्ति आत्महत्या करते हैं। (एनसीआरबी की रिपोर्ट) (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब आ गया समय
प्रवीन डॉवर ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत के युवा अपने ऊपर लगे अभिशाप के लिए मोदी सरकार को जवाबदेह बनाएं। हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे प्रतिभाशाली देशभक्त युवाओं को हमारी सेनाओं में स्थायी नौकरी मिले। इस असवर पर उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष कै. बलवीर सिंह रावत, कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप, कर्नल आरआर नेगी, कर्नल मोहन सिंह रावत, कर्नल जेबी लोबो, गोपाल सिंह गडिया, बलवीर सिंह पंवार, विनीत अग्रहरी गुप्ता आदि उपस्थित थे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।