अशोक आनन की कविता-मौन संवाद हैं

मरे हुए शहर में
आ गए हम।
दिखें हमें सुबह से
मरे आदमी।
आदमियों से सभी
डरे आदमी।
सुबह से अंधेरों को
भा गए हम।
आदमी की ज़मीं
बुत हड़प गए।
घर में घर के
पौधे तड़प गए। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
किनारों पर कश्ती
डुबा गए हम।
कोलाहल के घर
मौन संवाद हैं।
बात के घरों में
वाद – विवाद है।
कर्फ़्यू से ख़बरों में
छा गए हम।
इमारतें यहां
आसमां छू रहीं।
लहू की रोज़ ही
नदियां बह रहीं।
विषैली हवा में
समा गए हम।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।