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November 11, 2024

पीएसीएल निवेशकों ने सचिवालय पर किया प्रदर्शन, राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

पीएसीएल निवेशक संघर्ष समिति ने आज देहरादून में परेड मैदान से सचिवालय के लिए कूच किया। इस दौरान पुलिस ने सचिवालय से पहले उन्हें रोक लिया। निवेशकों ने राज्य सचिवालय पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रदेश के राज्यपाल ज्ञापन प्रेषित किया। मांग की गई है कि देहरादून में भूमाफियाओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहे भूमि घोटालों की जांच कराई जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि पिछले काफी महीनों से सामाजिक मुद्दों से सरोकार रखने वाले लोग बार -बार सरकार, जिला प्रशासन तथा विकासनगर तहसील के समक्ष प्रदर्शन कर चुके हैं। जिला एवं तहसील प्रशासन की मिलीभगत से पीएसीएल की विकासनगर तहसील के अन्तर्गत भूमि को खुर्दबुर्द किया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा है कि बार – बार धरने, प्रदर्शनों एवं शिष्टमण्डलों के मिलने के बावजूद प्रशासन हाथ में हाथ धरा बैठा है। वहीं, हजार – हजार पेज के दस्तावेज सबूतों के रूप में पेश किये हैं। जो अधिकारियों के कार्यालयों में धूल फांक रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा है कि पीएसीएल कम्पनी 1983 में बनी थी। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों की जमा राशि का उपयोग जमीनों को खरीदना व बेचना था। अविकसित जमीनों को विकसित करना, खेती योग्य बनाना था। तथा इसका लाभ निवेशकों को भी देना था। कम्पनी में अनियमिताओं के कारण 2014 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी ) द्वारा कम्पनी के कारोबार एवं सम्पतियों पर रोक लगा दी थी। पीएसीएल कम्पनी का प्रबन्धन न्याय के लिए सर्वोच्च न्यायालय गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस लोढा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया। ताकि कम्पनी की करोड़ों करोड़ रूपये की सम्पत्ति पर निगरानी रखी जाए। इस सम्पत्ति को बेचकर निवेशकों की बकाया राशि का भुगतान किया जा सके। जहाँ -जहाँ कम्पनी की चल अचल सम्पत्ति थी, वहाँ -वहाँ के जिलाधिकारियों को सम्पत्ति का रिसीवर बनाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा है कि कम्पनी की मुख्यतःउत्तराखंड में देहरादून, उधमसिंह नगर, टिहरी आदि जनपदों में करोड़ों की सम्पत्ति है। अकेले देहरदून में ही कम्पनी पर छोटे बड़े निवेशकों का लगभग 250 करोड़ रूपया बकाया है। इसके विपरीत कम्पनी की अकूत सम्पत्ति देहरादून में मौजूद है, जो अनुमानतः एक हजार करोड़ से भी अधिक की होगी। अकेले देहरादून में ही सर्वोच्च न्यायालय एवं जस्टिस लोढा कमेटी के आदेशों को दरकिनार करते हुए उपनिबंधक विकासनगर तहसील, तहसील प्रशासन एवं कम्पनी के अधिकारियों तथा भूमाफियाओं मिलीभगत से उक्त भूमि को बेचा गया। जो कि स्वयं में बहुत बड़ा महाघोटाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी इस सम्पत्ति के रिसीवर भी हैं। इस सम्बंध में वह जबाब देने से कतरा रहे हैं। निवेशकों द्वारा जिलाधिकारी, पुलिस महानिदेशक, मुख्यमंत्री से आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध किया। इसके बावजूद स्थिति जस तस है। निवेशक दर – दर भट रहे हैं और अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शनकारियों ने पीएसीएल की भूमि खुर्दबुर्द करने वाले अन्य अपराधियों को बिना देर किये गिरफ्तार करने की मांग की। पीएसीएल की भूमि एवं सम्पत्ति से एक हिस्सा बेचकर देहरादून के निवेशकों का लगभग 250 करोड़ का ब्याज सहित लौटाने, खुर्दबुर्द की गई भूमि वापस लेने की मांग की। जुलूस का नेतृत्व सीपीएम जिलासचिव राजेंद्र पुरोहित ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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