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September 21, 2024

उत्तराखंड में जल के क्षेत्र में सिंचाई, कृषि, पेयजल सहित समस्त क्षेत्रों को वर्ष 2047 तक परिपूर्ण करने का लक्ष्य: महाराज

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उत्तराखंड के सिंचाई, जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राज्य की ओर से उपलब्ध जल संसाधनों के समेकित उपयोग एवं नियोजन से वर्ष 2047 तक राज्य में जल का उपयोग करने वाले सिंचाई, कृषि, पेयजल आदि समस्त Sectors को जल के क्षेत्र में परिपूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। मध्य प्रदेश स्थित भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे हॉल (मिंटो हॉल), जहांगीराबाद में जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से गुरूवार से शुरू हुए दो दिवसीय जल विषय पर पहले अखिल भारतीय वार्षिक राज्य मंत्रियों के सम्मेलन “जल दृष्टि@ 2047” विषय पर उन्होंने ये बात कही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि के रूप में सम्मेलन कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि राज्यों और हितधारक मंत्रालयों के साथ साझेदारी की तलाश कर उसे मजबूत करना और पानी से संबंधित मुद्दों के लिए इस साझा दृष्टिकोण का वह स्वागत करते हैं। निश्चित रूप से यह सम्मेलन पानी जैसे बहुमूल्य और सीमित प्राकृतिक संसाधन को प्रबंधित करने में मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही साझेदारी को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में यमुना नदी पर प्रस्तावित 333 MCM धारित क्षमता के लखवाड बाँध परियोजना का निर्माण पुनः प्रारम्भ करने की कार्यवाही गतिमान है। यमुना की सहायक नदी टोन्स पर प्रस्तावित एक अन्य 1.8 BCM धारित क्षमता की बहुउद्देशीय परियोजना किशाऊ बाँध परियोजना का अन्वेषण कार्य भी प्रगति पर है। इससे यमुना बेसिन के अन्य पांच राज्यों को सिंचाई व पेयजल का लाभ मिलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जल संवर्द्धन एवं संरक्षण के लिए जल शक्ति अभियान के तहत “कैच द रेन” के अन्तर्गत अब तक 10589 रेन वाटर हारवेस्टिंग व जल संवर्द्धन कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। 5114 कार्य चल रहे हैं। 2844 water bodies का पुनरोद्धार कार्य पूर्ण किया गया हैं तथा 1317 water bodies का पुरूद्धार कार्य किया जा रहा है। 1267 रीचार्ज संरचनाओं का निर्माण के साथ-साथ 409 रीचार्ज संरचनाएं निर्माणाधीन है। 25765 वाटरसेड डवलपमेंट कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं तथा 12518 वाटरसेड डव्लपमेंट कार्य प्रगति पर है। 4702 हेक्टेयर भूमि में इन्टेंसिव फॉरेस्टेशन आदि कार्य पूर्ण कर 3694 हेक्टेयर भूमि में इन्टेंसिव फॉरेस्टेशन का कार्य किया जा रहा है। उक्त के अतिरिक्त 1685 प्रस्तावित अमृत सरोवरों में से 990 अमृत सरोवरों का निर्माण व पुनरोद्धार कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा शेष 695 के कार्य चल रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड पर्वतीय राज्य होने के कारण यहाँ अवस्थित पर्वतीय शहरों एवं ग्रामों को स्वच्छ पेयजल एवं सिंचाई की सुविधा नदियों पर जलाशय एवं लिफ्ट योजनायें बनाई जा सकती हैं। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में उपलब्ध जल स्त्रोतों के जल का उपयोग कर ही उपलब्ध करायी जा सकती है। इसके लिए यह आवश्यक है कि राज्य में उपलब्ध अतिरिक्त जल का पूर्ण उपयोग Good & Efficient Planning के साथ किया जाए। जहाँ जल विद्युत उत्पादन की सम्भावना का भी पूर्ण दोहन हो सके। उन्होने कहा कि राज्य में उपलब्ध जल के बेहतर प्रबन्धन एवं उपयोग हेतु कई वृहद परियोजनाओं का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है, जिनके निर्माण से राज्य को सुनिश्चित पेयजल, सिंचाई के साथ-साथ विद्युत उत्पादन का लाभ भी होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महाराज ने कहा कि देहरादून एवं उपनगरीय क्षेत्र हेतु सुनिश्चित पेयजल आपूर्ति के लिए सौंग नदी पर लगभग रू० 2021.57 करोड़ की लागत से सौंग बाँध पेयजल परियोजना बनायी जानी प्रस्तावित है। परियोजना के निर्माण से देहरादून शहर एवं उपनगरीय क्षेत्रों के लिए वर्ष 2053 तक अनुमानित आबादी के लिये 150 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति ग्रेविटी द्वारा सुनिश्चित की जा सकेगी। सॉंग बांध के निर्माण से होने वाली सुनिश्चित पेयजल आपूर्ति के कारण शहरी क्षेत्रों में क्रमवद्ध तरीके से नलकूप के माध्यम से जलापूर्ति में कमी होने के फलस्वरूप भूजल स्तर में सुधार के साथ-साथ नये नलकूपों के निर्माण, उनके अनुरक्षण लागत तथा विद्युत व्यय में भी कमी होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होने जमरानी बांध का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य की महत्वपूर्ण जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना जिसकी लागत रू० 2584.10 करोड की निवेश संस्तुति सचिव, जल शक्ति मंत्रालय की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत की गयी है। योजना को भारत सरकार के Public Investment Board एवं उसके पश्चात Cabinet Committee on Economic Affairs में स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस परियोजना के निर्माण से उत्तर प्रदेश एंव उत्तराखंड राज्य के 1,50,027 हेक्टेयर कमाण्ड के अन्तर्गत क्रमशः उत्तर प्रदेश में 47,607 हेक्टेयर तथा उत्तराखण्ड में 9,458 हेक्टेयर अर्थात कुल 57,065 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता का सृजन होगा एवं हल्द्वानी शहर एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्र की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति हेतु 117 एमएलडी जल की उपलब्धता सुनिश्चित होने के साथ-साथ 14 मेगावॉट विद्युत उत्पादन भी होगा। जिसके फलस्वरूप वहाँ के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तथा आस-पास के क्षेत्रों के भू-जल स्तर में भी वृद्धि होगी। राज्य सरकार द्वारा योजना को वर्ष 2027 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित विभिन्न राज्यों के मंत्री और उत्तराखंड के अपर सचिव सिंचाई उमेश नारायण पांडे, प्रमुख अभियंता जयपाल सिंह, इरीगेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट के शंकर कुमार शाह और जल जीवन मिशन से बी.के. पांडे व एस. के. शर्मा आदि मौजूद थे।

सुरक्षा के साथ-साथ प्रभावितों के रहने के पुख्ता इंतजाम करें: महाराज
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जोशीमठ शहर में मकानों और होटलों में आ रही दरारों व भू-धसाव ने चिंता बढ़ा दी है। इसके ट्रीटमेंट को लेकर शासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में मैंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा कर एसडीएम और जिलाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धसाव से अनेक घरों व भवनों में दरारें आने से प्रभावित लोगों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। जल्दी ही इसके लिए पूरा प्लान बनाकर आगे की कार्यवाही की जाएगी। महाराज ने एसडीएम और जिलाधिकारी को निर्देश दिये हैं कि लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके रहने के पुख्ता इंतजाम किये जायें। ऐसे मकानों को पहले फेज में शिफ्ट किया जाए जिनमें दरारें अधिक हैं, ताकि किसी बड़े खतरे से बचा जा सके।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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