पौड़ी के बस हादसे में मृतकों की संख्या पहुंची 33, विधायक को झेलना पड़ा ग्रामीणों का विरोध, बगैर दुल्हन के लौटा दूल्हा

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में रिखणीखाल-बीरोंखाल मोटर मार्ग पर लैंसडौन के सिमड़ी गांव के पास मंगलवार शाम बरातियों बारात की बस करीब 350 मीटर गहरी खाई में लुढ़कर नयार नदी में दिर गई थी। बारात हरिद्वार के लालढांग से चली थी और पौड़ी गढ़वाल में लैंसडौन के कांडा तल्ला जा रही थी। शाम सात बजे ये हादसा हो गया। बताया जा रहा है कि बस का दुर्घटनाग्रस्त होना कोई संयोग नहीं, बल्कि लापरवाही का परिणाम था। 28 सीटर बस में क्षमता से करीब दोगुने चालक व परिचालक समेत 52 लोग सवार थे।
यहां हुआ था हादसा
हरिद्वार जिले में लालढांग के कटेवड़ गांव निवासी संदीप पुत्र महावीर की बरात मंगलवार को दोपहर 12 बजे कांडा तल्ला के लिए रवाना हुई थी। बरात कांडा तल्ला निवासी प्रकाश चंद्र के घर जानी थी। मंगलवार शाम को करीब सात बजे दुल्हन के घर यानी कांडा तल्ला से एक किलोमीटर पहले बस अनियंत्रित होकर साढ़े तीन सौ मीटर गहरी खाई में जा गिरी। बस में सवार आठ से 10 लोग किसी तरह खाई से बाहर निकलकर आए और मोबाइल फोन से परिचितों को घटना की सूचना दी। इस बीच कांडा तल्ला और सिमड़ी गांव के ग्रामीण राहत व बचाव कार्य में जुट गए।
अब तक 31 शव बरामद
उधर, लालढांग निवासी अंजलि को हालत ज्यादा गंभीर होने के कारण देहरादून रेफर किया गया है। वहीं, बुधवार शाम तक 33 की मौत हो चुकी है। इस तरह की गई अनदेखी कुछ घायल बरातियों ने बताया कि कोटद्वार से करीब 55 किमी आगे सिसल्डी में बस की अगली कमानी (पट्टा) में खराबी आ गई थी। तब चालक ने जुगाड़बाजी कर बस को चलने लायक बनाया। कुछ किमी चलने पर कमानी में फिर से खराबी आई तो मैकेनिक को भी दिखाया, मगर पूरी तरह बस ठीक नहीं हुई। आगे चलकर यही कमानी टूट गई और बस अनियंत्रित होकर खाई में गिर गई। बस की फिटनेस भले ही 26 अक्टूबर, 2022 तक मान्य है, मगर रास्ते में दो बार खराबी आने के बावजूद जुगाड़बाजी कर बस को दौड़ाया जाता रहा।
रोता बिलखता वापस लौटा दूल्हा
जिस कार में दुल्हन आनी थी, उस कार में रोता-बिलखता दूल्हा संदीप अकेला वापस लौटा। संदीप की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे हैं। बिलख-बिलखकर वह अपनी किस्मत को कोस रहा है। मरने वालों में दूल्हे के भाई कुलदीप, बहन सतेश्वरी देवी और 11 साल का भतीजा सचिन भी शामिल है। ऐसे में दूल्हे ने शादी से इनकार कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
घटनास्थल का निरीक्षण करने पहुंचे विधायक को ग्रामीणों ने सुनाई खरी खोटी
बीरोखाल के पास सिमडी- कांडा तल्ला के पास बस हादसे के बाद घटनास्थल का निरीक्षण करने पहुंचे क्षेत्रीय विधायक महन्त दिलीप सिंह रावत को लोगों के आक्रोश का समना करना पड़ा। लोगों का कहना था कि पहाड़ों में सडकों की हालत किसी से छिपी नहीं है। सड़के ऊबडखाबड हैं, पैराफिट हल्की सामाग्री व मिट्टी से बने हैं। ऐसे में दुर्घटनाओं का भय रहता है। वहीं, सरकारी अस्पतालों में समय से उपचार नहीं मिल पाता है। स्वास्थ्य सेवाएं भी दम तोड़ रही हैं। कहीं एक्सरे मशीन, अल्ट्रासाउंड, रक्त परीक्षण की व्यव्था नहीं है तो कहीं कर्मचारी नहीं हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इतना सुनने के बाद विधायक ये कहते सुने गए कि ज्यादा चौड़ा मत बनो और दादागिरी मत दिखाओ। इस पर लोग और भड़क गए। मौके पर मौजूद ग्रामीण कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को भी खूब खरी खोटी सुनाते देखे गए। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री को कोसा। कहा कि दस दस सरकारी वाहनों का काफिला लाकर उन्होंने क्या किया। घोषणा तो देहरादून में बैठे बैठे भी हो सकती थी। ग्रामीणों ने यातायात व्यवस्था पर भी सवाल दागे। इस दौरान विधायक से लोगों की काफी देर तक बहस होती रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दो लाख का मुआवजा अपर्याप्तः धीरेंद्र प्रताप
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने बीरोंखाल के सिमड़ी में घटित बस दुर्घटना में दिवंगत लोगों के परिवारों दो लाख, गंभीर घायलों को एक लाख और सामान्य घायलों की 50 हजार रुपये की सीएम को घोषणा को अपर्याप्त बताया। उन्होंने कहा कि महंगाई के इस भयानक दौर में मृतकों के परिजनों को कम से कम दस लाख रुपये की सहायता दी जानी चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों के आश्रितों के लिए रोजगार का साधन भी तलाशना चाहिए। धीरेंद्र प्रताप ने मुख्यमंत्री द्वारा सिमड़ी सड़क दुर्घटना की न्यायिक जांच की उनकी मांग स्वीकार किए जाने पर आभार व्यक्त किया।कहा कि यह जांच भी समयबद्ध होनी चाहिए। ताकि जनता को त्वरित गति से न्याय मिले।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।