सहमति से शारीरिक संबंध बनाते समय किसी को साथी की जन्मतिथि के सत्यापन को आधार कार्ड की जरूरत नहीं होतीः हाईकोर्ट
आधिकारिक दस्तावजों के अनुसार नाबालिग लड़की की तीन अलग-अलग जन्मतिथियां हैं। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को अपनी साथी से सहमति से शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसका आधार कार्ड या पैन कार्ड देखने की अथवा उसके स्कूल के रिकॉर्ड से जन्मतिथि का सत्यापन करने की जरूरत नहीं है। आरोपी ने दावा किया था कि उसके खिलाफ बाल शोषण संबंधी कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल करने के लिए लड़की अपनी सुविधा से जन्म की तारीख बता रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने आदेश में कहा कि सच बात यह है कि एक आधार कार्ड है, जिसमें जन्मतिथि 1 जनवरी 1998 है और यह इस बात को बताने के लिए काफी है कि आवेदक किसी नाबालिग से शारीरिक संबंध नहीं बना रहा था। अभियोजन पक्ष को “बड़ी मात्रा में धन” के हस्तांतरण को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह हनी-ट्रैपिंग का मामला लगता है और अप्रैल 2019 और 2021 में हुई कथित घटनाओं के लिए प्राथमिकी दर्ज करने में “अत्यधिक देरी” के लिए कोई संतोषजनक कारण नहीं दिया गया था। अदालत ने पुलिस आयुक्त से कहा कि वह अभियोक्ता द्वारा अन्य लोगों के खिलाफ लंबित इसी तरह की प्राथमिकी के संबंध में विस्तृत जांच सुनिश्चित करे। साथ ही उसके आधार कार्ड के विवरण की जांच करे।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।