धर्म के नाम पर हत्या पर उबाल, जाति के नाम पर हत्या पर चुप्पी, यूपी में युवक को बम से उड़ाने वाले पकड़ से बाहर
इन दिनों राजस्थान के उदयपुर में धर्म के नाम पर हुई हत्या को लेकर पूरे देशभर में उबाल मचा हुआ है। सोशल मीडिया में भड़काऊ पोस्ट डालकर लोगों को उकसाने वाले भी सक्रिय हैं।

उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ जनपद में जातिगत विद्वेष को लेकर हत्या की वारदात हुई। यूपी में दावा किया जाता है कि ये राज्य अपराधीमुक्त है। इसके बावजूद अब तक इस मामले में एक भी आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ है। लखनऊ के माल क्षेत्र के गोपरामऊ पंचायत के रानियामऊ में रहने वाले मेवालाल रावत के बेटे शिव कुमार रावत (18) को कथित जातिय द्वेष के कारण उच्च जाति (सवर्ण) दबंगों ने सोते समय खटिया ने नीचे बम रखकर उड़ा दिया। इससे युवक के चीथड़े उड़ गए।
जानकारी के मुताबिक मेवालाल लम्बे समय से बीमारी के कारण शारीरिक मेहतन करने में असमर्थ हैं। उसका एक बेटा बेटा शिव कुमार रावत (18) हरिद्वार में मजदूरी करता था। इससे परिवार का पालन पोषण होता था। 22 जून को दोपहर 12 बजे शिव कुमार रावत हरिद्वार से लौटा था। रात में खाना खाने के बाद बाहर चारपाई लगा ली और सो रहा था। चारपाई के नीचे किसी ने बम लगा दिया और धमाके के साथ शिव कुमार के चीथड़े उड़ गए।
इकलौते बेटे शिवकुमार को मेवालाल का परिवार ट्रामा सेंटर ले गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पीड़ित पिता की तहरीर पर पुलिस ने सवर्ण जाति के लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है। हालाँकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुयी है। जयपुर और लखनऊ की दोनों घटनाएं एक समान है। अगर इन घटनाओं का आकलन करते हैं तो एक घटना में धर्म के नाम पर हत्या हुई है तो दूसरी जाति के नाम पर। एक घटना को लेकर कार्रवाई होती है और राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो जाता है। वहीं, यूपी में बीजेपी शासित सरकार है तो इस घटना को लेकर नेता भी मौन हैं। नामजद रिपोर्ट के बाद भी कोई गरिफ्तारी नहीं हुयी है।
भारत जैसे देश में आजादी के 70 साल बाद भी जाति के नाम पर हिंसा और हत्या का कोई नया मामला नहीं। चुनाव के समय जिन अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लोग पैर छूते हैं, उनके घर खाना खाते हैं, चुनाव खत्म होते ही उनके पैर तोड़े जाते है। उनके साथ बर्बरतापूर्वक हिंसा की घटनाएं सामने आने लगती है। उदयपुर और लखनऊ की घटना एक आतंकी घटना के सामान है। कार्रवाई के नाम पर कथित भेद भाव है। एक पर NIA की जाँच तो एक पर आवाज ही नहीं। ऐसी घटनाओं पर कानूनी प्रक्रिया तेजी लाने और निष्पक्ष तरीके से जांच की जरूरत है। ताकि लोगों का सरकार और संवैधानिक न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास बना रहे।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।