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December 13, 2024

उत्तराखंड में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का राजनीतिक दलों को खुला पत्र, सभी से जताई ये उम्मीद

प्रदेश के सबसे बड़े कर्मचारी संगठन, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड ने सभी राजनीतिक दलों को खुला पत्र प्रेषित किया है। इसमें अपना भावनाएं रखीं और उसके लिए पैरवी करने की मांग की।

उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के लिए 14 फरवरी को मतदान है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। वहीं, प्रशासन भी चुनाव की तैयारी में जुटा है। चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल का गणित प्रदेशभर के कर्मचारी सुधार और बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में प्रदेश के सबसे बड़े कर्मचारी संगठन, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड ने सभी राजनीतिक दलों को खुला पत्र प्रेषित किया है। इसमें अपना भावनाएं रखीं और उसके लिए पैरवी करने की मांग की।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष अरूण पांडेय और प्रदेश महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट की ओर से जारी पत्र में प्रदेश के राज्य कार्मिकों, शिक्षकों, निगम, निकाय, संविदा कर्मी, आउटसोर्स कर्मी व उपनल कर्मियों की मांगों को चुनावी घोषणा पत्र में सम्मलित करने की मांग की। साथ ही इनके लिए अलग मंत्रालय बनाने के मुद्दे को भी चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का सुझाव दिया।
पत्र में कहा गया है कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड देहरादून राज्य के कर्मचारियों का सबसे बड़ा संगठन है। साथ ही उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का महत्वपूर्ण घटक है। बडे़ खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आज तक किसी भी राजनैतिक दल ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कार्मिकों की मांगों को सम्मलित करने के लिए उनसे संपर्क नहीं किया है। वहीं, राज्य कर्मियों ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही वे उत्तराखंड के चौमुखी विकास के लिए महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
घोषणापत्र में इन बिंदुओं को शामिल करने की अपेक्षा
1.प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों, शिक्षकों, निगम, निकाय, पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, 26 वर्ष की सेवा के बाद प्रोन्नत वेतनमान दिया जाए।
2.सभी कार्मिकों के स्वास्थ्य संबंधी गोल्डन कार्ड की विसंगति को समाप्त किया जाए। उच्च सुविधायुक्त बड़े अस्पतालों तथा ओपीडी/पैथोलॉजी जॉच कैशलैस की जाए।
3.पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाय।
4.वेतन विसंगति में फील्ड कर्मियों, मिनिस्ट्रियल कर्मियों, वाहन चालकों एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के प्रकरणों को निस्तारित किया जाए।
5.संविदा कर्मी, आउटसोर्स कर्मी व उपनल कर्मियों की नियमावली बनाते हुए नियमित किया जाय व उससे पूर्व न्यूनतम वेतन निर्धारण किया जाए।
6.निगम/ निकाय कार्मिकों को राज्य कार्मिकों की भांति समस्त लाभ प्रदान की जाए।
7.जिन विभागों का पुनर्गठन नही किया गया है, वहां पुनर्गठन की सीमा तय की जाए।
8.स्थानान्तरण एक्ट में व्याप्त व्यापक विसंगतियों के कारण इसे निलम्बित रखा जाए। व्यापक सुधार के लिए कमेटी का गठन करते हुए कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों को भी कमेटी में प्रतिनिधित्व दिया जाए।
9.सभी विभागों में अनिवार्य रूप से शत्-प्रतिशत् पदोन्नति की जाय तथा पदोन्नति में शिथिलीकरण की व्यवस्था को निरन्तर जारी रखा जाए।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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