अमेरिका और रूस के तनाव के बीच रूस से मिसाइल खरीद पर भारत को अमेरिका की चेतावनी
अमेरिका-रूस के बीच बढ़ते तनाव से भारत की चिंताएं बढ़ गईं हैं। रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीद के कारण भारत पर CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) प्रतिबंध लगाने का मुद्दा अमेरिका (America) में एक बार फिर उठ गया है।
अमेरिका की तरफ से सख्त आपत्ति और बाइडेन प्रशासन की ओर से प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद भारत ने अपने फैसले को बदलने से इंकार कर दिया था और रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद प्रक्रीया पर आगे बढ़ रहा है। 2 अगस्त 2017 को अमेरिकी राष्ट्रपति ने CAATSA क़ानून पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत अमेरिका ने रूस, नॉर्थ कोरिया और ईरान पर नए प्रतिबंध लगाए थे। इसमें अमेरिका की विदेश नीति या उसके सुरक्षा हितों को सर्वोपरि रखा गया है और प्रतिबंधित देशों के साथ बड़े सौदे करने करने वाले देशों पर भी प्रतिबंध की वकालत है।
अमेरिका लगातार भारत के रूस से कई बिलियन का मिसाइल सुरक्षा तंत्र S-400 खरीदने पर अपनी चिंताएं जताता रहा है। भारत ने लगातार यह कहा है कि रूस से S-400 खरीदना उसके राष्ट्रीय हित में है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होती है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कई मायनों में यह हमारी S-400 पर चिंताओं को नहीं बदलता है। मुझे लगता है कि यह क्षेत्र और शायद उसके बाहरी इलाकों को अस्थिर करने में रूस की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
उन्होंने कहा कि जब CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) प्रतिबंधों की बात आती है तो आपने मुझे पहले भी कहते हुए सुना होगा, हमने इस खरीद पर अभी कोई फैसला नहीं किया है, लेकन इस खरीद पर CAATSA प्रतिबंधों के खतरे को देखते हुए, इसे लेकर हम लगातार भारत सरकार से बात कर रहे हैं।
नेड प्राइस से प्रश्न पूछा गया था कि यूक्रेन पर रूसी हमले के खतरे के दौरान अमेरिका और रूस के बीच बड़ा तनाव बन गया है, ऐसे में रूसी S-400 सिस्टम के भारत को दिए जाने का अमेरिका और भारत के द्विपक्षीय संबंधों पर क्या असर होगा? नेड प्राइस ने कहा, चाहे वो भारत हो या कोई और देश, हम सभी देशों से रूसी हथियारों की किसी भी नई खरीद को टालने की अपील जारी रखेंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।