कांग्रेस की गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी गरिमा ने शिक्षा विभाग में लगाया अनियमितताओं का आरोप
उत्तराखंड कांग्रेस की गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसोनी ने राज्य के शिक्षा विभाग में अनियमितताओं का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इक्कीस वर्षों से लगातार अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की दुर्दशा को लेकर उत्तराखंड अक्सर चर्चाओं में रहा है।

दसोनी ने एक प्रेस बयान में उत्तराखंड सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शिक्षा विभाग में जिस तरह का सर्कस चल रहा है, उसे देखकर इतना ही कहा जा सकता है कि मंत्री विभाग की स्थिति को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। नौनिहालों के भविष्य को मंत्री ने बेहतर करने के बजाय अंधकारमय कर दिया है।
दसौनी ने बताया की शिक्षा मंत्री ने देहरादून में शिकायत प्रकोष्ठ में कार्यरत दो शिक्षकों को अपनी सोशल मीडिया में खुद के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दे रखी है। उन्होंने कहा कि 2017 में सरकार गठन के बाद भाजपा सरकार ने अस्थाई राजधानी देहरादून में एक शिक्षक शिकायत प्रकोष्ठ का गठन किया। रसूखदार पांच शिक्षकों को इस प्रकोष्ठ में नियुक्ति दी गयी, लेकिन यह शिक्षक किसी के भी प्रति जवाबदेह नहीं है।
दसोनी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रदेश में सरकार नहीं, सर्कस चल रहा है। दसौनी के अनुसार प्रदेश में अधिकारियों की एक लंबी चौड़ी फौज होने के बावजूद शिक्षा विभाग के शिक्षकों की शिकायतों का निस्तारण करने के लिए पांच चुनिंदा शिक्षकों को देहरादून में अटैच करने का मकसद क्या है? जिनकी हाजिरी का या उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड निदेशालय के पास नहीं है। हैरान करने वाली बात तो यह है इनमें से 2 शिक्षक प्रणव बहुगुणा और शैलेंद्र जोशी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का फेसबुक और ट्विटर अकाउंट हैंडल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 5 में से 2 शिक्षक भौतिक विज्ञान के हैं, जो कि अति महत्वपूर्ण विषय है। जिस प्रदेश में पहले ही शिक्षकों का टोटा चल रहा हो, वहां सत्ता का दुरुपयोग करके और प्रदेश के बच्चों की शिक्षा दीक्षा के साथ इस तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है। यह अपने आप में बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। दसोनी ने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे पर सवाल उठाते हुए कहा कि सोशल मीडिया को हैंडल करने के लिए प्राइवेट लोग भी हायर किए जा सकते हैं, परंतु शिक्षकों को अपना सोशल मीडिया चलाने के लिए इस्तेमाल करना मंत्री की छोटी सोच और भ्रष्टाचारी प्रवृत्ति ही दर्शाती है।
दसौनी ने कहा कि जब बड़े बड़े अफसर ही शिक्षा विभाग की समस्याओं का निस्तारण नहीं कर पा रहे हैं तो यह 5 शिक्षक कौन सा कद्दू में तीर मार लेंगे।औचक निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि 5 में से 1 शिक्षक भी शिकायत प्रकोष्ठ में मौजूद नहीं था। दसोनी ने कहा कि इसे प्रदेश की विडंबना ही कहा जा सकता है कि 21 साल बाद भी यह प्रदेश अच्छी शिक्षा व्यवस्था और अच्छे जन प्रतिनिधियों की बाट जो रहा है। इसे उत्तराखंड राज्य का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि राज्य का शिक्षा मंत्री इतनी निचली हरकत पर उतर आए हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।