देवस्थानम बोर्डः आखिर कितनी रिपोर्ट हैं तैयार, अब महाराज ने सौंपी सीएम को रिपोर्ट
आज सोमवार को देवस्थानम बोर्ड पर पर्यटन, लोक निर्माण, धर्मस्व, सिंचाई एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर पुनर्विचार के लिए मंत्री गणों की उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट परीक्षण एवं अध्ययन के पश्चात प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी गई।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की ओर से जारी प्रेस नोट के मुताबिक, उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के परिपेक्ष में चारों धामों के हितधारकों पंडा, पुरोहितों और पुजारियों द्वारा समय-समय पर विरोध, आंदोलन के मध्येनजर वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत समाधान के लिए समिति की रिपोर्ट के सम्यक परीक्षणोंपरांत और सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित मंत्री गणों की उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को सोमवार को सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया।
रविवार को भी सौंपी थी रिपोर्ट
बोर्ड के संबंध में गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को समिति की ओर से तैयार किया गया अंतिम प्रतिवेदन रविवार की रात को सौंपा था। तब मुख्यमंत्री ने कहा कि समिति की ओर से प्रस्तुत प्रतिवेदन का परीक्षण कर शीघ्र निर्णय लिया जायेगा। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, सचिव एचएस सेमवाल उपस्थित थे।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका। गंगोत्री में तो कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के दो बार पुतले भी जलाए गए। देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत ने 23 नवंबर को देहरादून में यमुना कालोनी स्थित कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया था। इस मौके पर धरना दिया गया था। आंदोलन के तहत 27 नवंबर को बोर्ड गठन के दो साल पूरे होने पर काला दिवस मनाया गया। इससे तहत देहरादून में सचिवालय कूच किया गया। अब आंदोलन को तेज करते हुए एक दिसंबर से चारों धामों के पूजा स्थल के साथ ही देहरादून में क्रमिक अनशन की चेतावनी दी गई है।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरे से ऐन पहले नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है। वहीं, समिति ने अपनी दूसरी रिपोर्ट भी सीएम को सौंप दी। अब सीएम को ही इस संबंध में फैसला लेना है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।