Video: तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र को बगैर दर्शन लौटाया, गंगोत्री में बाजार बंद, त्रिवेंद्र का दावा किए दर्शन

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र को रास्ते में रोका
देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं होने से केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों में रोष है। इसी क्रम में सोमवार को केदारनाथ पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का तीर्थ पुरोहित समाज ने विरोध किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत को संगम स्थित पुल से आगे नहीं जाने दिया गया। तीर्थपुरोहित एवं हक-हकूकधारियों ने इस दौरान खूब नारेबाजी की और उनका जमकर विरोध किया। ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत को बगैर दर्शन के ही वापस लौटना पड़ा। वहीं , मंत्री धन सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को भी तीर्थ पुरोहितों ने घेर लिया। भारी विरोध के चलते इन नेताओं ने बाबा केदार के दर्शन किए।
त्रिवेंद्र ने डाली पोस्ट
वहीं, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दावा किया कि आज उन्होंने केदारनाथ धाम में दर्शन किए। इस संबंध में उन्होंने फेसबुक में पोस्ट डाली। साथ ही दो फोटो भी लगाईष। फेसबुक में डाली गई पोस्ट में उन्होंने लिखा कि-हिमालये तू केदारम। पुनः केदारपुरी की धरती पर कदम रखने का सौभाग्य मिला। आबोहवा से ही मन आध्यात्मिकता में डूबने लगा। भव्य केदारपुरी के निर्माण कार्य शीघ्र सम्पन्न होंगे और देश-दुनिया के करोड़ों सनातनियों को श्रीकेदारनाथ धाम के भव्य दर्शन के लाभ प्राप्त होंगे। बाबा केदार के अंतर्दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया तथा सभी के मंगल की कामना की। जय बाबा केदार!
गंगोत्री में बाजार बंद कर निकाला जुलूस
गंगोत्री में पांच मंदिर समिति, गंगापुर विसावा, साधु संत, व्यापार मंडल के समस्त पदाधिकारियों एवं गुरु चरण निवास करने वाले समस्त लोगों ने देवस्थानम के विरोध में मंदिर परिसर से बस स्टैंड तक लगभग एक किलोमीटर पैदल मार्च किया। गंगोत्री में विरोध स्वरूप बाजार को बंद रखा गया। साथ ही तीर्थ पुरोहितों ने श्रद्धालुओं के आग्रह पर की जाने वाली पूजा का बहिष्कार किया। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद करने के बजाय सरकार अब तीर्थ पुरोहितों को भ्रमित कर रही है।
वीडियो साभारः सत्येंद्र सेमवाल
उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों की जब 11 सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात हुई थी तो सीएम ने आश्वासन दिया था कि 30 अक्टूबर तक बोर्ड को भंग करने का निर्णय लिया जाएगा। इसके बावजूद तय तिथि पर सरकार की ओर से बोर्ड भंग करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। व्यापार मंडल अध्यक्ष इंद्रदेव सेमवाल ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद करना चाहिए। प्रदर्शनकारियों में मंदिर समिति के संयोजक हरीश सेमवाल, पूर्व अध्यक्ष रमेश, सतीश, अनिल नौटियाल, पूर्व सचिव रविंद्र सेमवाल, संजीव सेमवाल, सह सचिव राजीव शर्मा, व्यापार मंडल के अध्यक्ष इंद्रदेव, सुधांशु, गणेश, रमाकांत, दीपक सिंघल, नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश, रमाकांत, सत्येंद्र आदि शामिल थे।
सीएम का दिल्ली दौरा, पीएम को देंगे अपडेट
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज दिल्ली के दौरे पर रहेंगे। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों के संबंध में अपडेट देंगे। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री पांच नवंबर को केदारनाथ आ रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात कर उन्हें राज्य स्थापना दिवस पर नौ नवंबर को होने वाले समारोह में शामिल होने का न्योता दे सकते हैं।
तीन नवंबर को होगा केदारनाथ कूच
उधर चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत समिति ने सभी तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारियों से तीन नवंबर को केदारनाथ कूच का आह्वान किया है। इससे सरकार में हड़कंप मचा है। अब सीएम धामी दिल्ली जाकर पीएम मोदी को क्या फीडबैक देते हैं। या फिर उनके आने से पहले तीर्थ पुरोहितों को किस तरह मनाते हैं, ये देखना होगा।
ये है मामला
बता दें कि वर्ष 2020 में सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय समिति गठित की। इसके अध्यक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी को बनाया गया। मनोहर कांत ध्यानी ने हाल ही में समिति की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। पांच नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ में दौरा है। ऐसे में यदि रिपोर्ट पर बवाल होता है तो दिक्कत हो सकती है। इससे ऐन पहले अब नौ सदस्यों को नामित कर चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों को खुश करने का प्रयास किया गया है।
हाल ही में सरकार ने उत्तराखंड में उच्च स्तरीय समिति देवस्थानम विधेयक में उत्तराखंड शासन की ओर से उत्तराखंड के चारधामों से नौ तीर्थपुरोहितों, हक हकूकधारियों, विद्वतजनों और जाधकारों को नामित कर दिया गया है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व एवं तीर्थाटन की ओर से शासनादेश जारी किया गया था। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल की ओर से जारी शासनादेश में चारों धामों से नौ सदस्य नामित किए गए हैं।
इसके तहत श्री बदरीनाथ धाम से विजय कुमार ध्यानी, संजय शास्त्री एडवोकेट ( ऋषिकेश), रवीन्द्र पुजारी एडवोकेट (कर्णप्रयाग- चमोली), केदारनाथ से विनोद शुक्ला, लक्ष्मी नारायण जुगडान, गंगोत्री धाम से संजीव सेमवाल, रवीन्द्र सेमवाल, यमुनोत्री धाम से पुरुषोत्तम उनियाल, राजस्वरूप उनियाल नामित हुए है।
शासनादेश में कहा गया है कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानय प्रबंधन बोर्ड के समस्त पहलुओं पर विचार विमर्श करने के लिए सभी पक्षों से विचार-विमर्श करने के उपरांत संस्तुति के लिए पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति में उपरोक्त सदस्यों को नामित किया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।