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October 28, 2025

कोरोना मरीजों के बिल प्रतिपूर्ति पर सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने दायर की सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, केंद्र को नोटिस

कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर से अत्यधिक वसूली के खिलाफ और आमजन को प्राइवेट अस्पतालों से पैसे वापसी के लिये देहरादून उत्तराखंड निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में जनहित याचिका लगाई।

पिछले दिनों पूरे भारत मे कोरोना महामारी ने अपने पैर पसार रखे थे। इससे अधिकांश लोग संक्रमित हुए। भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो, किन्तु पूरे देश में इसने अपने चरम पर दोनों-लहरों में त्राहिमाम मचाया। लाखों लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया। अबतक भारत मे 3.38 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हुए, जोकि पूरे विश्व मे चिंताजनक पहले स्थान पर है। कोरोना से लोगो को जान-माल हानि के साथ-साथ आर्थिक मार भी झेलनी पड़ी है।  भारत के मध्यम- वर्ग और निचले वर्ग के 90 फीसद प्रतिशत आबादी के कई लोगों की नौकरियां-व्यापार पर खतरा मंडराया।  तब भी उन्होंने अपने परिवार वालो को बचाने के लिये प्राइवेट हस्पतालों में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। कोरोनकाल में केंद्र सरकार द्वारा जून 2020 में प्राइवेट अस्पतालों के कोरोना मरीजों के चार्ज सुनिश्चित किया गया था। इसके बावजूद कई राज्यो के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये। इन सबके दृष्टिगत देश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर से अत्यधिक वसूली के खिलाफ और आमजन को प्राइवेट अस्पतालों से पैसे वापसी के लिये देहरादून उत्तराखंड निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में जनहित याचिका लगाई।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में मुख्य बिंदु यह बताया कि पूरे देश में प्राइवेट हस्पतालों के लिये जून 2020 में गाइडलाइंस जारी कर प्राइवेट हस्पतालों के कोरोना मरीजों हेतु चार्ज सुनिश्चित किया गया था। इसके आधार पर समय-समय पर केंद्र और लगभग सभी राज्यों द्वारा कोरोना मरीजों के एक-समान दरों की गाइडलाइंस जारी की गई थी।फिर भी देश भर लोगों ने अत्यधिक बिल की समस्या को उठाया। फिर भी लोगो को विशेष राहत नहीं मिली। कोरोना शुरू होने से अबतक लगभग 1 करोड़ लोगों को कोरोनो के कारण मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों का रुख लेना पड़ा और अधिकतर लोगों को गाइडलाइंस से अधिक बिल की मार झेलनी पड़ी।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ व न्यायाधीश बीवी नागरथना वाली संयुक्त पीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई की। जनहित याचिका के अधिवक्ता दीपक कुमार शर्मा व कृष्ण बल्लभ ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की संयुक्त पीठ ने इस याचिका पर प्राइवेट हॉस्पिटल के अत्याधिक बिल चार्ज करने की अनियमिताओं, मरीजों को रिफंड जारी करने व पूरे देश के लिये सुनिश्चित गाइडलाइंस जारी करने विषय मे स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्र सरकार सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।
उल्लेखनीय है कि गाइडलाइंस में कोरोना मरीजों हेतू प्राइवेट हस्पतालों में यह चार्ज प्रतिदिन का निर्धारित था। ऑक्सिजन बेड- 8-10 हजार रुपये, आईसीयू के 13 से 15 हजार रुपये व वेंटिलेटर बेड के 18 हजार रुपये, जिसमे PPE किट, दवाइयां, बेड, जाँच इत्यादि सब खर्चे युक्त थे। इसके बावजूद मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये। उत्तराखंड निवासी अभिनव थापर ने अपने साथियों के साथ मिलकर उत्तराखंड में कई व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश भर के मरीजों को ऑक्सिजन, अस्पताल में ऑक्सिजन बेड, आईसीयू, वेंटिलेटर, दवाई व सबसे महत्वपूर्ण प्लाज्मा व्यवस्था के कार्यों में सहयोग को तत्पर रहे।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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