आशा वर्कर्स यूनियन उत्तरकाशी की सरिता जोशी अध्यक्ष और सरिता राणा बनी महामंत्री, कहा-कैबिनेट में प्रस्ताव नहीं आया तो मंत्रियों का घेराव
सीटू से संबद्ध उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्रि यूनियन की उत्तरकाशी जिला इकाई के जिला सम्मेलन में सर्वसम्मति से सरिता जोशी को अध्यक्ष और सरिता राणा को महामंत्री चुना गया। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष शिवा दुबे ने यूनियन की ओर से चलाए गए आंदोलन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही कहा कि ये आशाओं की एकजुटता का परिणाम है कि उनकी मांगों पर शासन ने आगामी कैबिनेट की बैठक में फैसला लेने का निर्णय किया है।उत्तरकाशी स्थित बाबा काली कमली धर्मशाीला में सम्मेलन में सीटू के प्रांतीय सचिव लेखराज, उपाध्यक्ष भगवंत पयाल, यूनियन की प्रान्तीय अध्यक्ष श्रीमती शिवा दुबे, सुनीता चौहान, परमिला राणा ने संबोधित किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सरकार की ओर से आशाओं की समस्याओं पर जो विचार किया जा रहा है वह आशाओं के आंदोलन का ही नतीजा है। यदि सरकार आगामी मंत्री परिषद की बैठक में आशाओ से संबंधित मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव को पारित नही करते है तो आशाएं राज्य सरकार के मंत्रियों को उनके क्षेत्रो में ही घेरेंगीं। साथ ही इस आंदोलन को मजबूत करेंगे और आगामी चुनाव में सरकार के खिलाफ माहौल बनाएंगे ।
ये चुने गए पदाधिकारी
इस अवसर पर जिला उत्तरकाशी कार्यकारणी का चुनाव किया गया। इसमें यूनियन की अध्यक्ष सरिता जोशी, उपाध्यक्ष सरिता ठाकुर व कविता उनियाल चुने गए। सरिता राणा को महामंत्री, सचिव मनोरमा और बिना गुसाईं, कोषाध्यक्ष रीना रावत, संगठन मंत्री रंजीता भंडारी, प्रचार मंत्री कुशला जोगटा चुनी गईं।
लगातार कर रही हैं आंदोलन
सम्मेलन में बताया गया कि उत्तराखंड में आशाएं 12 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आशा वर्कर्स आंदोलनरत हैं। इसके तहत दो अगस्त से कार्य बहिष्कार कर गढ़वाल मंडल के सभी जिलों में सीएमओ कार्यालय के साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरने का लंबा कार्याक्रम चलाया गया। सीटू से संबंद्ध आशा वर्कर्स यूनियन की बीती नौ अगस्त को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई थी। इस पर शासन ने कुछ मांगों पर सहमति दी थी, लेकिन शासनादेश जारी नहीं किया गया। इसके अगले दिन 10 अगस्त को आशाओं ने सीएम आवास कूच भी किया था। इसके बाद 27 अगस्त को आशा वर्कर्स ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था। 21 अगस्त को सचिवालय समक्ष धरना दिया गया। इस दिन भी आशाओं के प्रतिनिधिमंडल को स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता के लिए बुलाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों के संबंध में 24 सितंबर को कैबिनेट की मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाएगा। इस आश्वासन पर आशाएं वापस लौटीं। इसके बाद 24 सितंबर को भी ट्रेड यूनियंस के राष्ट्रीय आह्वान पर सचिवालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया। पर समस्या जस की तस है।
29 सितंबर को यूनियन ने सचिवालय कूच किया और वहीं धरने पर बैठ गईं। मांग की गई कि मानदेय वृद्धि के संबंध में शासनादेश जल्द जारी किया जाए। देर रात करीब सवा दस बजे आशाओं को फिर स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता को बुलाया और उन्होंने लिखित में आश्वासन दिया कि आशा वर्कर्स का जो प्रस्ताव है, उसे आगामी कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। इस पर आशाएं मानी। साथ ही उन्होंने समस्त कार्य बहिष्कार और स्वास्थ्य केंद्रों के समक्ष धरने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया।
आशा वर्कर्स की मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
पूर्व में शासन से वार्ता में आशाओं के संबंध में ये लिए गए थे निर्णय
-आशाओं को छह हजार का मानदेय देने की पेशकश स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने की। अन्य देय भी मिलते रहेंगे।
– प्रत्येक केन्द्र में आशा रूम स्थापित किये जाऐंगे।
-अटल पेंशन योजना में उम्र की सीमा समाप्त करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
-आशाओं के सभी प्रकार के उत्पीड़न एवं कमीशनखोरी पर कार्रवाई होगी।
-अन्य सभी मांगों पर सौहार्दपूर्ण कार्यवाही होगी।
-स्वास्थ्य बीमा की मांग पर समुचित कार्यवाही होगी।
-उपरोक्त सन्दर्भ में शासन द्वारा आवश्यक कार्यवाही के बाद अति शीध्र शासनादेश जारी किया जाएगा।




