आइआइटी रुड़की में एक करोड़ से अधिक घोटाले के मामले में निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट ने किया निरस्त
आइआइटी रुड़की में एक करोड़ से अधिक के घोटाले में निदेशक और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के एजीजेएम रुड़की के आदेश को हाईकोर्ट नैनीताल ने निरस्त कर दिया।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में आइआइटी रुड़की के निदेशक व आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर प्रो. अजीत चतुर्वेदी व अन्य की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है कि संस्थान के सीनियर सुप्रीटेंडेंट धीरज उपाध्याय ने एक करोड़ पांच लाख का गबन किया तो संस्थान ने 25 अगस्त 2020 को उन्हें चार्जशीट थमा दी। तीन सितंबर को धीरज ने आरोप स्वीकार भी किए और जांच उपरांत सात दिसंबर 2020 को उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद संस्थान ने 11 दिसंबर 2020 को कोतवाली रुड़की में मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई।
इसी बीच संस्थान से ही रिटायर मनपाल शर्मा ने धारा-156-तीन के तहत अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर आरोप लगा दिया कि इस घपले में निदेशक, डीन व डिप्टी रजिस्ट्रार भी शामिल थे। इस पर 23 दिसंबर 2020 को एसीजेएम रुड़की ने इस घपले में निदेशक प्रो. अजीत चतुर्वेदी, डीन डा. श्रीखंडे, असिस्टेंट रजिस्ट्रार जितेंद्र डिमरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दे दिए।
निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ दी गई चुनौती पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की पीठ में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता विपुल शर्मा ने कहा कि एक अपराध की दो प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती। संस्थान के पूर्व कार्मिक के आरोप निराधार हैं और बिना सबूत के लगाए गए हैं। इस प्रकरण की पुलिस जांच चल रही है, जिसकी प्राथमिकी खुद संस्थान ने दर्ज कराई है। एकलपीठ ने न्यूज चैनल के हेड अर्नब गोस्वामी केस में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर साफ किया कि एक अपराध के लिए दो प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती। कोर्ट ने इस आधार पर सीजेएम कोर्ट का प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश निरस्त कर दिया।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।