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February 8, 2025

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने को लेकर मतभेद, सोनिया गांधी लेंगी अंतिम फैसला

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की अटकलों के बीच पार्टी में ही मतभेद की स्थिति बनी हुई है। उनकी कांग्रेस में एंट्री को लेकर अब सोनिया गांधी को फैसला करना है।

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की अटकलों के बीच पार्टी में ही मतभेद की स्थिति बनी हुई है। उन्हें कांग्रेस में शामिल कराना आसान नजर नहीं आ रहा है।  उनकी कांग्रेस में एंट्री को लेकर अब सोनिया गांधी को फैसला करना है। सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने को लेकर सोनिया गांधी कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगी, जिनमें से कई इसके विरोध में हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को छोड़ कर आए प्रशांत किशोर की जुलाई में सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी के साथ कई बैठकें हुई थी। जहां पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर विस्तार से चर्चा हुई थी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने पिछले उत्तर प्रदेश चुनावों में प्रशांत किशोर के साथ काम किया था और सूत्रों का कहना है कि उन्हें उनके पार्टी में शामिल होने से कोई आपत्ति नहीं है।
वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता इसे लेकर बंटे हुए हैं। कुछ का कहना है कि यह पार्टी के लिए अच्छा विकल्प होगा। वहीं, दूसरों का कहना है कि वाइल्ड कार्ड एंट्री से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और गांधी परिवार को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सुनने और उनसे जुड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए, जो उन्होंने करना बंद कर दिया है। प्रशांत किशोर ने पार्टी की सार्वजनिक रैलियां, विपक्षी नेताओं को साथ लाने की कवायद व अन्य योजनाओं की एक लिस्ट शेयर की थी जो शायद कांग्रेस को पसंद नहीं आई।
एक कांग्रेस नेता के मुताबिक, प्रशांत किशोर के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनावी रणनीतिकार को पार्टी की संस्कृति और दृष्टिकोण के अनुकूल होने में परेशानी हो सकती है। अहमद पटेल की मृत्यु के बाद, अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ऐसे सलाहकारों की तलाश में हैं जो पार्टी को पुनर्जीवित करने में मदद सकें। क्योंकि पार्टी को लगातार कई राज्यों में चुनावों में हार का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, प्रशांत किशोर का कांग्रेस के साथ अनुभव संतोषजनक नहीं रहा है। उन्होंने पार्टी और इसकी कार्यशैली की आलोचना भी की थी।
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी का गठबंधन विफल हो गया था। किशोर के लिए, एकमात्र कामयाब जगह पंजाब रही। जहां कांग्रेस ने अकाली-भाजपा गठबंधन को हराया था। मई में प्रशांत किशोर ने कहा था कि कांग्रेस एक 100 साल पुरानी राजनीतिक पार्टी है और उनके काम करने के अपने तरीके हैं। उन्होंने कहा था कि पार्टी उनके या अन्य लोगों के सुझाए गए तरीकों पर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। वे मेरी कार्यशैली के साथ काम करने के लिए तैयार नहीं होंगे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को मान लेना चाहिए कि उसके साथ कुछ समस्या है और उसके बारे में उसे कुछ करना चाहिए।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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