कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’ की गढ़वाली गजल-आजादी
आजादी
बड़ि कुर्बन्यूं से मिलीं आजादी, भलिके सम्माऴ
देश रक्षा कि खातिर, द्वी कदम चलिके सम्माऴ
तिल-मिल नि द्योखु वो बग्त, कानि-किस्सा सुड़ीं,
सुड़ीं बतौं बि गूण, आज दग्ड़म मिलिके सम्माऴ
सूंण ! बीरौं की परिक्षा, सदन बटि- हूंद रा यख,
बीरौं की ल्वे से पऴ्यूं छै तू, ये समऴिके सम्माऴ
शान्ति कु पाठ- नि भुलणू , गांधी जी न- जो बतै,
क्रांति कु बिगुल फूक, सुभाष थैं पढिके सम्माऴ..
समै बदल-हम नि बदला, हम रवां भोला-भाला,
ज्यूसे प्यारु-देश हमारु, ये लड़ि-लड़िके सम्माऴ
देश थैं- सूर- बीरौं चाड- लाड, सदनि बटि राई,
जौं-रै-देश प्यारु, ऊंन देशभक्त बड़िके सम्माऴ
‘दीन’ भारत देश हमरु, हमन ये- माँ समान-मान,
भारत माँ से बणु-क्वी नि, अगनै बढिके सम्माऴ
कवि का परिचय
नाम-दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’
गाँव-माला भैंसोड़ा, पट्टी सावली, जोगीमढ़ी, पौड़ी गढ़वाल।
वर्तमान निवास-शशिगार्डन, मयूर बिहार, दिल्ली।
दिल्ली सरकार की नौकरी से वर्ष 2016 में हुए सेवानिवृत।
साहित्य-सन् 1973 से कविता लेखन। कई कविता संग्रह प्रकाशित।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
75 वें स्वतंत्रता दिवस की सभी को शुभकामना