भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने रचा इतिहास, ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 हराकर सेमीफाइनल में किया प्रवेश, 49 साल बाद ऐसा कमाल
ओलिंपिक में पदक के 41 साल के लंबे इंतजार को खत्म करने के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपना पूरा जोर लगाया और कोच ग्राहम रीड और कप्तान मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने क्वार्टर फाइनल मैच में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से पराजित कर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। भारत ने ओलंपिक में आखिरी पदक मास्को ओलंपिक 1980 में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था। तब केवल छह टीमों ने भाग लिया था और राउंड रोबिन आधार पर शीर्ष पर रहने वाली दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुकाबला हुआ था। इस तरह से भारत 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा है। यानि ओलंपिक में 49 साल के बाद भारत की टीम सेमीफाइनल में पहुंची है।
भारत की टीम ने शुरुआत से ही अच्छे खेल का प्रदर्शन किया। भारत के लिए पहला गोल सातवें मिनट में दिलप्रीत ने किया तो वहीं दूसरे क्वार्टर की शुरुआत में ही गुरजंत ने गोल करके भारत को 2-0 के आगे पहुंचा दिया। तीसरे क्वार्टर के अंत में ग्रेट ब्रिटेन ने पैनल्टी कार्नर के जरिये एक गोल दागकर स्कोर 2-1 पर पहुंचा दिया। चौथे क्वार्टर में हार्दिक सिंह ने खुद के ही लगातार दो प्रयास में गोल दाग दिया और 3-1 से मैच जीता दिया। टीम ने शुक्रवार को अपने आखिरी ग्रुप मैच में मेजबान जापान को 5-3 से मात दी थी और पूल-ए में दूसरे स्थान पर रही थी। अब 49 साल के बाद पहली बार भारत सेमीफाइल खेलेगी। अब तक ओलंपिक में ग्रेट ब्रिटेन के साथ भारत के आठ मैच हुए। इनमें दोनों ने चार चार बार एक दूसरे के खिलाफ जीत दर्ज की है।
टोक्यो ओलंपिक में भारत को दो पदक
भारत की दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु भले ही गोल्ड मेडल नहीं जीत पाई हैं, लेकिन उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को दूसरा पदक दिला दिया। उन्होंने चीनी शटलर हे बिंगजिआओ को दो सेटों में 21-13, 21-15 से सीधे सेटों में पराजित कर इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाली सिंधु भारत की इकलौती ऐसी महिला खिलाड़ी बन गईं, जिनके नाम ओलंपिक में दो व्यक्तिगत मेडल जीतने का कमाल दर्ज हो गया। इससे पहले भारत को वेटलिप्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को रजत के रूप में पहला पदक दिलाया था।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।