कवि श्याम लाल भारती की कविता-जीवन
जीवन
झड़ पड़ता डाली से,
मैं पतझड़ का पीला पात।
इस जग में आया फिर मैं,
लेकर फिर से नया प्रभात।।
सुख दुःख तो आते जाते,
ये तो होता सब जग के साथ।
क्यों मृत्यु जन्म से भय हमको,
हम भी तो हैं पतझड़ जैसे पात।।
क्या तेरा क्या मेरा यहां,
सब है उस प्रभु के हाथ।
नेकी कर और खुश रह सदा,
खुशियां बिखेरता जा हर प्रभात।।
अंत सबका एक दिन यहां,
मान ले तू मन से ये बात।
याद जरूर कर अपने प्रभु को,
तेरे कर्म ही जाएंगे तेरे साथ।।
पुष्प भी तो एक दिन टूट जाता,
छोड़ देता डाली का साथ
ऐसा ही सबका जीवन यहां,
महकता रहता वो हर दिन हर रात
झड़”””””””””””””””””””””””””””””पात,
इस””””””””””””””””””””””””””प्रभात।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।