शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-बीती यादें

कुछ यादें छोड़ पीछे,
ये दौर भी गुजर जाएगा।
शायद यकीन है मुझे,
फिर से जहान मुस्कुराएगा।।
दुखी मत होना मेरे दोस्तों,
जरूर सुनहरा पल आयेगा।
कुछ ही दिनों की बात तो है,
बुरा वक्त जरूर गुजर जाएगा।।
गर खो गया कोई अपना तो,
क्या कोई उसे भुला पाएगा।
मत निकल बेवजह यूं बाहर,
फिर नहीं कुछ कर पाएगा।
वतन संकट में है आज जो,
वतन के लिए कुछ कर पाएगा।
अपनों की खातिर तू यहां,
क्या घर पर कदम रोक पाएगा।।
इंसान हैं हम,खुदा की नेमत,
क्या तू खुद को पहचान पाएगा।
अपने लिए जीना तो क्या जीना,
क्या अब वतन को बचा पाएगा।।
अरे सोच जरा इंसान यहां,
मासूमों को शिक्षा दिला पाएगा।
उन्होंने तो कम बसंत देखे अभी,
उन्हे क्या इस घड़ी बचा पाएगा।।
ठहर जा कुछ पल अपनों संग,
तभी मासूमों का जीवन बच पाएगा।
कुछ यादें छोड़ छाड़ पीछे,
ये दौर भी गुजर जाएगा।।
बस धैर्य रख अपने मन में,
तभी जीवन संभल पाएगा।
यकीन है मुझे खुद पर अब,
ये जहां फिर से मुस्कुराएगा।।
मुस्कुराएगा, मुस्कुराएगा।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
बहुत सुन्दर बीती यादें