चारधाम यात्रा को लेकर सरकार से संतुष्ट नहीं हाईकोर्ट, मांगा नया शपथपत्र
चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल उत्तराखंड सरकार के शपथपत्र से संतुष्ट नहीं है। इस मामले में कोर्ट ने सरकार को दोबारा शपथपत्र देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कई बिंदुओं पर सरकार से सवाल भी पूछे। साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 जून को निर्धारित की है।
गौरतलब है कि अनलॉक की प्रक्रिया के तहत चारधाम यात्रा को शुरू करने के लिए प्रदेश सरकार तैयारी कर रही है। इस बार 22 जून की सुबह तक कोरोना कर्फ्यू बढ़ाया गया है। 14 जून की सुबह कर्फ्यू के संबंध में शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने वीडियो जारी कर कहा था कि 15 जून से चारधामों में स्थानीय लोगों को जाने की अनुमति होगी। रुद्रप्रयाग जनपद के लोग केदारनाथ, चमोली के लोग बदरीनाथ धाम, उत्तरकाशी के लोग गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में पूजा अर्चना को जा सकेंगे। वहीं, जब शाम को मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कर्फ्यू की अवधि बढ़ाने के लिए गाइ़डलाइन जारी की तो इसमें चारधाम यात्रा का जिक्र ही नहीं किया गया।
फिलहाल चारों धाम के कपाट अपनी नियत तिथि पर खुल गए थे। वहां सिर्फ तीर्थ पुरोहितों, पुजारियों, हकहकूकधारियों के साथ ही रावल आदि को पूजा अर्चना की अनुमति है। साथ ही कोरोना के नियमों का भी पालन करना होगा। चारों धामों में नियमित पूजा अर्चना हो रही है। तीर्थ यात्रियों के लिए अभी यात्रा शुरू नहीं की गई है।
उच्च न्यायालय ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था व चार धाम यात्रा को लेकर दायर जनहित याचिकाओं की बुधवार 16 जून को सुनवाई की। अदालत में पर्यटन सचिव दलीप जावलकर पेश हुए। पर्यटन सचिव की ओर से चार धाम यात्रा के संबंध में पेश किए गए शपथपत्र से कोर्ट सन्तुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने 21 जून तक चारधाम की नई एसओपी जारी कर समस्त रिकार्ड के साथ नया शपथपत्र पेश करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 जून की तिथि नियत की है। 23 जून को मुख्य सचिव, स्वास्थ्य शचीव व एडिशनल पर्यटन सचिव से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने को कहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि चारधाम मामले में सरकार यदि यात्रा शुरू करती है तो नीतिगत निर्णय ले। मेडिकल इंतजाम करे।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्तिआरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व सचिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पर्यटन सचिव को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि चारधाम यात्रा कुंभ मेले की तरह नही होनी चाहिए। कुंभ मेले में सरकार ने मेले के शुरू होने से ठीक एक दिन पहले बिना पूरी तैयारियों के एसओपी जारी की थी। इसकी वजह कोरोना को फैलने का मौका मिल गया। सरकार की अवस्थाओं के कारण प्रदेश की बदनामी होती है। इन्ही अवस्थाओं के कारण प्रदेश में कोरोना का ग्राफ बढ़ा है।
सुनवाई के दौरान पर्यटन सचिव ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार लॉकडाउन में 22 जून तक चारधाम यात्रा शुरू नही कर रही है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से खोल सकती है। इसपर कोर्ट ने पूछा कि अभी वहां पर मेडिकल व अन्य व्यवस्थाएं क्या है। वहां पर रह रहे स्थानीय लोगो व व्यवसाइयों का वेक्सीनेशन हुआ है या नही। साथ मे चार धाम की तैयारियों को लेकर उनकी ओर से किये गए निरीक्षण के दौरान पाई गई खामिया, चार धाम यात्रा के लिए कितने पुलिस जवानों को तैनात किया जाएगा, इस पर भी जानकारी देने को कहा है। चार धाम यात्रा के पैदल मार्ग को रोज सनेटाइएज करने पर भी विचार करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि 2020 में चार धाम में तीन लाख 10 हजार 568 श्रद्धालु दर्शन में गए थे, लेकिन इस वर्ष कोविड की दूसरी लहर काफी भयावह है। ऐसे में सरकार को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का ध्यान रखने की जरूरत है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।