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November 8, 2024

सरकार ने की उपेक्षा, ग्रामीणों ने उठाया सड़क बनाने का बीड़ा, एक दिन में जोड़ी हजारों की राशि, नेताओं को दी चेतावनी

ग्रामीणों ने अब सड़क बनाने का बीड़ा उठाया। ग्रामीणों की पहली बैठक में ही दानदाता आगे आए और 40 हजार रुपये जमा हो गए।

 

अब इसे क्या कहा जाए। गांव में सड़क नहीं है। बीमार को अस्पताल ले जाने में मुख्य मार्ग तक कंधे या फिर डोली से ले जाया जाता है। सरकार इस तरफ मुंह उठाकर देखती नहीं है। नेता चुनाव के मौसम में ही दिखते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में ग्रामीणों ने संपल्प लिया कि अगले चुनाव में सड़क नहीं तो वोट नहीं का फार्मूला अपनाएंगे। साथ ही ग्रामीणों ने अब सड़क बनाने का बीड़ा उठाया। ग्रामीणों की पहली बैठक में ही दानदाता आगे आए और 40 हजार रुपये जमा हो गए। हालांकि चार किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण करने में अभी काफी धनराशि की जरूरत है। इसके बावजूद ग्रामीण हार मानने को तैयार नहीं हैं। वे किसी तरह श्रमदान और अन्य साधनों के जरिये सड़क बनाने का संकल्प ले चुके हैं।
इस गांव में है समस्या
यहां बात हो रही है उत्तराखंड के पौड़ी जिले के नैनीडांडा प्रखंड के ग्राम सौपखाल की। ग्रामीणों के मुताबिक ग्राम पंचायत चिलाऊ के अंतर्गत सौपखाल गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। आजादी के बाद से भी यहां के लोग बगैर मोटर मार्ग के पैदल रास्तों से ही मुख्य मार्ग तक चार किलोमीटर का सफर तय करते हैं। कई बार विधायक और मंत्री से गुहार लगा चुके हैं। सड़क की भीख मांगने पर उनकी झोली में सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। ना सड़क, ना ही अस्पताल, ना ही मोबाइल नेटवर्क, इस गांव की नियति है। आजादी से पहले जैसा अंग्रेज छोड़कर गए, हालत वैसे ही बने हैं।
बैठक में लिया गया ये निर्णय
सड़क को लेकर ग्रामीण जयवंत सिंह कंडारी की अध्यक्षता में ग्रामीणों की बैठक हुई। इसमें ग्राम पंचायत चिलाऊ की प्रधान गीता देवी भी उपस्थित रहीं। बैठक में तय किया गया कि अब ग्रामीण खुद ही सड़क बनाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए हर परिवार न्यूनतम सहयोग के रूप में एक हजार रुपये चंदा देगा। यदि कोई इससे ज्यादा सहयोग करना चाहेगा तो उसका स्वागत है। बैठक में ही चालीस हजार रुपये जमा कर दिए गए। साथ ही सरकार, नेताओं को चेतावनी दी गई कि अब 2022 के चुनाव में सड़क नहीं तो वोट नहीं के फार्मूले को अमल में लाया जाएगा।
दानदाताओं की सूची
होशियार सिंह कंडारी दस हजार रुपए, देवेन्द्र कंडारी इक्कीस सौ, रामेनदर सिंह कंडारी इक्कीस सौ, पान सिंह इक्कीस सौ, विक्रम सिंह कंडारी पांच हजार, राजे सिंह गुसाई इक्कीस सौ, जसवंत सिंह कंडारी ग्यारह सौ, बीर सिंह कंडारी एक हजार,आनंद सिंह कंडारी एक हजार, दर्शन सिह कंडारी एक हजार, प्रेम सिंह कंडारी एक हजार, धर्मपाल कंडारी ग्यारह सौ, गौरव रावत एक हजार, राजे सिंह रावत एक हजार, गोविंद रावत एक हजार, मनोज रावत एक हजार, गजे सिंह रावत एक हजार, गोविंद सिंह रावत पन्द्रह सौ, कमल सिंह रावत एक हजार रुपए।


रिपोर्ट- प्रभुपाल सिंह रावत
प्रभुपाल सिंह रावत सेना से सेवानिवृत्त हैं। वह समाजसेवी हैं। वह पौड़ी जिले के रिखणीखाल क्षेत्र में ग्राम नावेतली के मूल निवासी हैं। वर्तमान में वह देहरादून के कारगी चौक में निवासरत हैं। विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए वह प्रशासन और शासन का ध्यान आकर्षित करते रहते हैं। उनके दो बेटे सेना में सेवा दे रहे हैं। बेटी का विवाहित है।

 

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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