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April 24, 2025

Coronavirus: एक और भयावाह सच आ रहा है सामने, ब्लैक फंगस ने बढ़ाई चिंता, मरीज को बचाने में निकालनी पड़ रही आंखे

कोविड-19 से रिकवर हो चुके मरीजों में दुर्लभ, लेकिन गंभीर ब्लैक फंगस के मामले दिखने के बाद एक और चिंता बढ़ने लगी है। अब तक इस बीमारी के कई मरीज दिल्ली, मुंबई और गुजरात में सामने आए हैं।

कोरोनाकाल में जहां लोग कोविड-19 से जान गंवा रहे हैं, वहीं इस बीमारी में एक और डरावना सच सामने आ रहा है। ये सच ब्लैक फंगस के रूप में है। कोविड-19 से रिकवर हो चुके मरीजों में दुर्लभ, लेकिन गंभीर ब्लैक फंगस के मामले दिखने के बाद एक और चिंता बढ़ने लगी है। अब तक इस बीमारी के कई मरीज दिल्ली, मुंबई और गुजरात में सामने आए हैं। अब जानकारी है कि महाराष्ट्र में इस संक्रमण के 2000 से ज्यादा मामले हो सकते हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने ऐसा बयान दिया है।
महाराष्ट्र सरकार ने म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस या कवक संक्रमण) के मामलों का उपचार करने के लिए मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों का उपयोग करने का फैसला किया है। यह ब्लैक फंगस कोविड-19 मरीजों को प्रभावित कर रहा है। हालांकि, इसके कम ही मामले सामने आए हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस की मृत्यु दर 50 फीसदी है। यह उन कोविड-19 मरीजों को अपनी चपेट में लेता है जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम है या वे पहले ही अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं।
क्या है ब्लैक फंगस
म्यूकोरमाइकोसिस को काला कवक के नाम से भी पहचाना जाता है। संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस बीमारी में में कुछ गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ती है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। इसी कारण ब्लैक फंगस या ब्लड फंगस से संक्रमित मरीजों की आंख निकालने के मामले सामने आ रहे हैं। अब हर दिन बढ़ रहे हैं मामले गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।
शहरों की स्थिति
मुंबई में बीएमसी के बड़े अस्पताल ‘सायन’ में डेढ़ महीने में ब्लैक फंगस के 30 मरीज मिले हैं। इनमें 6 की मौत हुई है और 11 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी। गुजरात में भी ऐसे 50 से 60 मरीज सूरत और अहमदाबाद जैसे शहरों में मिल चुके हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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