मंगल के राजा और स्वयं का मंत्री होना दे रहा भूकंप का संकेत, दुर्गा के नौ रूपों के पूजन से शांत करें नवग्रह

नवरात्र में दुर्गा के नौ रूपों का विधिवत पूजन नवग्रहों की शांति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। इन दिनों प्रत्येक ग्रह का विशिष्ट पूजन उस ग्रह की कुंडली में चल रही खराब दशा अंतर्दशा अथवा वर्षफल में खराब दशाओं का सफलतम उपचार हो जाता है।
डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल इशारा करते हैं कि राक्षस नाम का संवत्सर भूमि पुत्र मंगल राजा भी और स्वयं मंत्री भी हैं। इसलिए भूकंप जैसी विभीषिका आने का पूरा डर रहेगा कोरोनावायरस पर नियंत्रण हो, इसके लिए सभी लोगों को इन नवरात्रों में मां दुर्गा से देश और पूरे संसार की खुशहाली की प्रार्थना करनी चाहिए।
नवरात्र के प्रथम दिवस को शैलपुत्री के पूजन का विधान है। वह हिमाचल की पुत्री होकर आदि देव शंकर की पत्नी हुई ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ सूर्य हैं और उन्हें आदिदेव तथा ग्रहों के राजा की संज्ञा भी दी जाती है। इसलिए मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र राज पीड़ा से ग्रसित लोग जिनका राजकीय पद अचानक छिन गया हो, इस दिन विधिवत वैदिक वैज्ञानिक पद्धति से सूर्य ग्रह का पूजन कराएं तो उन्हें राजकीय वैभव प्राप्त होगा।
द्वितीय नवरात्र को ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है और ब्रम्हचर्य का सीधा संबंध मानसिक शांति से होता है। ज्योतिष शास्त्र में मन पर चंद्रमा का अधिकार बताया गया है इसलिए दिन मानसिक बीमारियों शादी विवाह में अड़चन पूरी विद्या पढ़ने के बावजूद नौकरी में सफलता न मिलना आदि की शांति का उपचार होना चाहिए।
नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा होती है। ज्योतिष में तीसरा स्थान मंगल को प्राप्त है और वह कुंडली में तीसरे घर का कारक भी माना गया है। जब मस्तिष्क सूर्य और मन चंद्रमा शांत होंगे तो जीवन अपने आप मंगलमय होने लगेगा खून संबंधी बीमारियां हृदय संबंधी बीमारियां जमीन संबंधी कार्य सफल करने के लिए इस दिन मंगल ग्रह की शांति करें।
चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा का विधान है इसलिए उस दिन नसों संबंधी दिमाग और राज्य पद की प्राप्ति के लिए ग्रहों में युवराज बुध ग्रह की शांति करनी चाहिए। पंचम दिवस स्कंदमाता की पूजा का है स्कंध केले को भी कहा जाता है जो बृहस्पति ग्रह का कारक है। इसलिए लीवर संबंधी अति विशिष्ट राज पद घर गृहस्ती में शांति और सुख की प्राप्ति हो। इसके लिए बृहस्पति ग्रह का पूजन किया जाना चाहिए।
छठवें दिन कात्यायनी अर्थात सर्व मनोरथ पूर्ण करने वाली देवी के पूजन का विधान है और ग्रहों में छठे स्थान पर भोग विलास का कारक मनोरथ को पूर्ण करने वाले शुक्र ग्रह का स्थान है। सप्तधातु संबंधी बल और वीर्य संबंधी स्त्रियों में मासिक धर्म और मूत्र संबंधी तथा इस मृत्युलोक में समस्त भोगों की प्राप्ति के लिए इस दिन शुक्र ग्रह का विशेष पूजन वैदिक पद्धति से होना चाहिए।
सातवें दिन अर्ध रात्रि में माता कालरात्रि का पूजन किया जाता है और वह स्थान नवग्रहों में न्याय के देवता काल और दंड को साधने वाले शनि ग्रह को प्राप्त है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा और आराधना करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। आठवें दिन मां दुर्गा के गौरी रूप का पूजन है उस दिन महिषासुर के रूप समुद्र मंथन में अमृत पान करने वाले राहु ग्रह की पूजा विधि विधान से की जाए तो कुंडली में राहु ग्रह की शांति हो जाती है। नवमी के दिन सिद्धिदात्री हरियाली माता वंश वृद्धि करती है और ग्रहों में वंश वृद्धि का कारक केतु को माना गया है। उस दिन केतु ग्रह की शांति हो जाए और तब दशमी के दिन हवन पूजन के साथ नवरात्र पारायण हो तो समस्त ग्रह पीड़ा से मनुष्य को मुक्ति मिल सकती है।
आचार्य का परिचय
नाम-आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल
पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तराखंड से चयनित प्रवक्ता संस्कृत।
निवास स्थान- धर्मपुर चौक के पास अजबपुर रोड पर मोथरोवाला टेंपो स्टैंड 56 / 1 धर्मपुर देहरादून, उत्तराखंड।
मोबाइल नंबर-9411153845
उपलब्धियां
वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड से सम्मानित वर्ष 2016 में। सटीक भविष्यवाणी पर उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार ने दी उत्तराखंड ज्योतिष रत्न की मानद उपाधि। त्रिवेंद्र सरकार ने दिया ज्योतिष विभूषण सम्मान। वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी। इसलिए 2015 से 2018 तक लगातार एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त हुआ। ज्योतिष में इस वर्ष 5 सितंबर 2020 को प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किया। वर्ष 2019 में अमर उजाला की ओर से आयोजित ज्योतिष महासम्मेलन में ग्राफिक एरा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिया ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान। ज्योतिष रत्न डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल की अधिकांश भविष्यवाणियां सटीक साबित हो रही हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।