टीम तीरथ में वही पांच पुराने कांग्रेसी चेहरों ने छोड़े सवाल, अगली चुनौती अब विभाग बंटवाराः भूपत सिंह बिष्ट
उत्तराखंड में नव निर्वाचित मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों की वापसी ने पूर्व मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत की आकस्मिक विदाई पर कई सवाल छोड़ दिये हैं।

उत्तराखंड में नव निर्वाचित मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों की वापसी ने पूर्व मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत की आकस्मिक विदाई पर कई सवाल छोड़ दिये हैं। क्या मंत्री और विधायकों ने अपने कप्तान को ही मैदान से बाहर कर दिया ? ऐसे में उत्तराखंड के सियासी हालात कब और कैसे बेहतर होंगे।
उल्लेखनीय है कि इसी चौथी विधानसभा में तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर कांग्रेस के बागी सतपाल महाराज को मैदान में उतारा गया। निसंदेह तब भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सिटिंग विधायक तीरथ सिंह रावत के खिलाफ खेल हुआ। आज उसी चौथी विधानसभा में तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बनकर लौटे हैं और उनकी कैबिनेट में नंबर दो स्थान पर सतपाल महाराज ने शपथ ली है।
इतिहास बन चुका है
मुख्यमंत्री पद के दावेदार सतपाल महाराज ने विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत व अन्य कांग्रेसी विधायकों के साथ हरीश रावत की सरकार को अल्पमत में लाने की मुहिम चलायी और कुछ समय तक देवभूमि उत्तराखंड में दल बदल के चलते राष्ट्रपति शासन भी रहा। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से हरीश रावत की सरकार पुन: स्थापित हुई, लेकिन चौथी विधानसभा में कांग्रेस का सफाया हो गया। साथ ही भाजपा को 70 सीटों में 57 सीट जीताकर जनता ने प्रचंड समर्थन दिया। कुर्सी के लिए हो रहे राजनेताओं के आपसी मनमुटाव को आसानी से समझा जा सकता है।
तीसरे स्थान पर निवर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को और चौथे स्थान पर पूर्व कांग्रेसी हरक सिंह रावत ने शपथ ग्रहण की। इस के बाद बिशन सिंह चुफाल, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व डीडीहाट विधायक को शपथ दिलाई गई।
पांचवे स्थान पर पूर्व कांग्रेसी यशपाल आर्य, फिर अरविंद पांडे गदरपुर विधायक, सातवें स्थान पर पूर्व कांग्रेसी सुबोध उनियाल नरेंद्र नगर विधायक और आठवें कैबिनेट मंत्री के रूप में गणेश जोशी विधायक मसूरी ने शपथ ली।
मीडिया में संभावित मुख्यमंत्री के रूप में बहुप्रचारित धन सिंह रावत को यथावत राज्यमंत्री की शपथ दिलायी गई है। इसके अतिरिक्त पूर्व कांग्रेसी रेखा आर्य भी अपनी कुर्सी बचाने में सफल रही हैं। उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा अपनी महिला विधायकों में इस बार जनरल खंडूडी की बेटी रितु खंडूड़ी भूषण, स्वर्गीय प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत,मीना गंगोला, मुन्नी शाह को अवसर दे सकती है।
मदन कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कैबिनेट की खाली पोस्ट पर हरिद्वार के चर्चित विधायक यतीश्वरा नंद को राज्य मंत्री की शपथ दिलायी गई। तीरथ सिंह रावत ने नई कैबिनेट में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सभी मंत्रियों को स्थान देकर विधायकों के असंतोष को दबाने का प्रयास किया है। साथ ही पूर्व कांग्रेसियों की यह फौज अब कांग्रेस महारथी हरीश रावत को वर्ष 2022 के अगले चुनाव में घेरने में काम आयेगी।
तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट में देहरादून, चमोली, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चम्पावत, बागेश्वर को आशातीत प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। बारह सदस्यीय कैबिनेट में चार सदस्य यानि कुल तैतीस प्रतिशत प्रतिनिधित्व पौड़ी जनपद से हैं। जहां मात्र छह विधानसभा सीट हैं।
पांचवी विधानसभा 2022 के चुनाव में भारी दल बदल की संभावना देखी जा रही है। ऐसे में भाजपा व कांग्रेस अपना घर सहेजकर रखना चाहते हैं, ताकि आप, यूकेडी या निर्दलीय सत्ता के लिए खतरा साबित न हो।
लेखक का परिचय
नाम- भूपत सिंह बिष्ट
स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
पूर्व कांग्रेसियों का कभी भी बिद्रोह हो सकता है