Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

October 12, 2025

शिक्षा संस्थानों का राजनीतिकरण लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय: गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पथ संचलन आयोजित किया जाना गहरी चिंता का विषय है। यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का। दसौनी ने कहा यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अब शिक्षा के मंदिरों को भी विचारधारा विशेष के प्रचार-प्रसार का मंच बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दून मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों ने पथ संचलन निकाला। कार्यक्रम का आयोजन दून मेडिकल कॉलेज के परिसर में हुआ, जिसमें संघ से जुड़े कई स्वयंसेवक उपस्थित रहे। पथ संचलन में 130 विद्यार्थियों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया। इसे लेकर ही कांग्रेस की प्रवक्ता ने बयान जारी किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस नेत्री गरिमा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान ज्ञान, विज्ञान और मानवीय सेवा के प्रतीक हैं। न कि किसी राजनीतिक या सांप्रदायिक संगठन के शक्ति प्रदर्शन का स्थल। ऐसे आयोजनों से न केवल शैक्षणिक वातावरण दूषित होता है, बल्कि छात्रों में वैचारिक विभाजन की दीवारें खड़ी होती हैं। गरिमा दसौनी ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि मेडिकल कॉलेजों में भी अब पथ संचलन होंगे, तो फिर डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़कर सभी युवा ताली बजाने, थाली पीटने और दिया जलाने के अभियान में लग जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि क्या यही है ‘नए भारत’ की शिक्षा नीति है। जहाँ विज्ञान की जगह विचारधारा और अनुसंधान की जगह नारेबाज़ी सिखाई जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के संरक्षण में संघ अब हर शिक्षण संस्थान में अपनी शाखाएँ जमाने की कोशिश कर रहा है। यह प्रवृत्ति संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता और अकादमिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने मांग करते हुए कहा है कि उच्च शिक्षा विभाग और राज्य सरकार इस मामले में तत्काल संज्ञान लें और स्पष्ट करें कि सरकारी व सरकारी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में किसी विचारधारा विशेष के संगठन को ऐसे आयोजन की अनुमति कैसे दी गई। गरिमा ने कहा कि देश का भविष्य इस तरह के आयोजनों से नहीं, बल्कि शिक्षा, विज्ञान और संवैधानिक मूल्यों पर निर्मित होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि ये विडंबना ही है कि एक तरफ ग्रामीण अंचलों में लोग जंगली जानवरों का निवाला बन रहे हैं। दूसरी तरफ एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो के अनुसार पिछले एक वर्ष में उत्तराखंड में 1209 नाबालिक बच्चे लापता हो गए हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ना ही किसी आपदा ग्रस्त क्षेत्र में राहत कार्यों में हाथ बंटाते हुए देखा गया। ना ही किसी गरीब की मदद करते हुए।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। यदि आप अपनी पसंद की खबर शेयर करोगे तो ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी। बस इतना ख्याल रखिए।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *