गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में युवा कवि सूरज रावत की कविता- आज देश का संविधान लागू हुआ, तुम अपना…

आज देश का संविधान लागू हुआ,
तुम अपना संविधान बना लेना,
स्वतन्त्र देश के नागरिक हो तुम,
हर चीज को पाने के आधिकारिक हो तुम,
ना उलझना छोटे मोटे मुद्दों पर,
खुद एक स्वाभिमान बना लेना,
आज देश का संविधान लागू हुआ,
तुम अपना संविधान बना लेना, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
यहाँ लोग लोगों से जल रहे हैं,
हर एक मन में, ईर्ष्या, राग, द्वेष हमेशा पल रहे हैं,
तुम खुद इनसे दूर रहकर,
खुद को एक नया इंसान बना लेना,
आज देश का संविधान लागू हुआ,
तुम अपना संविधान बना लेना,
दुनिया निस्वार्थी, निरमोही हो गयी है,
सब लालच के चक्कर में है,
आज इंसानियत खो गयी है,
खुद की दुनिया सब बसाने चलाने हैं,
माँ बापू को वृद्धाश्रम छोड़ देते हैं,
पर तुम खुद को एक अच्छी संतान बना लेना,
आज देश का संविधान लागू हुआ,
तुम अपना संविधान बना लेना, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
कोई ढूंढेगा मस्जिद, कोई ढूंढेगा मंदिर,
ना कोई बड़ा था, ना कोई बड़ा है, घर से बड़ा परिसर,
तुम जिस घर के चिराग हो उस घर का नाम बना लेना,
ना कोई बड़ा धाम, ना कोई तीर्थ स्थान,
तुम माँ बापू को ही अपना भगवान बना लेना,
आज देश का संविधान लागू हुआ,
तुम अपना संविधान बना लेना,
बड़े बड़े कानूनों के बाद भी अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं,
कहीं चोर उचक्के तो कहीं शराबी झूम रहे हैं,
चाहे कोई लाख बुरा करे, तुम अपना विधि विधान बना लेना,
इस भारत का मान सम्मान बचा लेना,
आज देश का संविधान लागू हुआ,
तुम अपना संविधान बना लेना, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
कहीं हैं खेत खलियान, कहीं हैं तकनिकी और उद्यान,
है यहाँ की धरा निराली, है यहाँ की छटा अति प्यारी,
कहीं बड़े बड़े नैशनल हाईवे, कहीं ऊँची हवाई यात्रा –
कहीं पैदल पगडण्डियां कहीं है ऊंट की संवारी ,
सबसे बड़ा धर्म है मानवता हमारा,
समरसता, समानता और एकता है कर्तव्य हमारा,
जो याद आये युगों – युगों तक ऐसा महान
हिन्दुस्तान तुम बना लेना,
आज देश का संविधान लागू हुआ,
तुम अपना संविधान बना लेना।
कवि का परिचय
सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।