बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के खिलाफ कांग्रेस सहित विभिन्न संगठनों में उबाल, डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन
1 min readउत्तराखंड में बिजली दरों में वृद्धि के खिलाफ कांग्रेस सहित विभिन्न दलों में गुस्सा देखा गया। विरोध में जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किए गए। साथ ही मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन भेजे गए। इस दौरान लोगों का कहना था कि एक तरफ तो जनता महंगाई से त्रस्त है। वहीं, दूसरी तरफ उन पर बिजली का अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। इसमें विद्युत दरों में विगत सात सालों में 45 प्रतिशत की वृद्धि को राज्य की जनता से खुली लूट बताया। गोगी ने कहा कि पहले तो पिछले वर्ष एडिशनल सिक्योरिटी चार्ज के नाम पर लोगों को लूटा गया। बड़े लोगों को छोड़ कर आम उपभोक्ताओं के कनेक्शन बिजली विभाग ने काटे और अब डबल इंजन की सरकार ने ये तोहफा राज्य की जनता को दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा सरकार के आने के बाद लोगों की जरूरत की हर चीज चाहे वो गैस हो, पेट्रोल हो, बिजली हो, दालें और अन्य खाद्य पदार्थ हो, सब महंगे हो चुके हैं। उस अनुपात में लोगों की आय नहीं बढ़ी है। गोगी ने कहा कि रिजर्व बैंक ने स्वयं कहा है कि भारत में शुद्ध घरेलू बचत दर 47 सालों के निम्नतम स्तर पर आ चुकी है। ऐसी परिस्थिति में विद्युत दरें बढ़ाने का निर्णय आम जनता पर सीधा अत्याचार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राज्यपाल को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। प्रतिनिधिमण्डल में मुख्य रूप से प्रदेश उपाध्यक्ष पूरण सिंह रावत, प्रदेश प्रवक्ता आशीष नौटियाल, इलियास अंसारी, वीरेंद्र पवार, अभिषेक तिवारी, लकी राणा आदि सम्मिलित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में ही बिजली के मूल्यों में भारी बढ़ोत्तरी एवं बिजली के नीजिकरण के खिलाफ विभिन्न दलों और संगठनों ने जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में ज्ञापन उपजिलाधिकारी मुख्यालय शालिनी नेगी को सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रतिनिधिमण्डल ने कहा कि लोकसभा चुनावों के दौरान बिजली के दरों में वृद्धि आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। साथ ही बीजेपी के नेता इस जनविरोधी फैसले को यह कहकर सही ठहराया रहे हैं कि अन्य राज्यों में बिजली उत्तराखण्ड से ज्यादा मंहगी है, जो कि बेहद निन्दनीय है। उन्होंने अविलम्ब उक्त जनविरोधी फैसले को वापस लेने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रतिनिधिमण्डल में सीपीआईएम जिलासचिव राजेन्द्र पुरोहित, सचिव अनन्त आकाश, राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी के अध्यक्ष नवनीत गुसांई, प्रदेश महामंत्री शोभाराम, सीटू से भगवंत पयाल, रविंद्र नौडियाल, सुरेश कुमार, प्रभात डण्डरियाल आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।