Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 8, 2024

सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला, ईवीएम और वीवीपेट मिलान की मांग को किया खारिज, दे सकते हैं चुनौती, दिए ये सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर डाले गए वोटों के 100 फीसदी सत्यापन की मांग की सभा याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सुझाव दिया चुनाव आयोग भविष्य में वीवीपीएटी पर्ची में बार कोड पर भी विचार करें। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि रिजल्ट घोषित होने के 7 दिनों के भीतर उम्मीदवार दोबारा जांच की मांग कर सकता है। माइक्रो कंटोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर करेंगे। इस जांच का खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा। कोई भी गड़बड़ी साबित होने की स्थिति में खर्च किया गया पैसा वापस किया जाएगा।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ईवीएम और वीवीपेट को लेकर जजों ने यह फैसला सहमति से लिया है। आपको बता दें कि कोर्ट ने VVPAT के साथ EVM के वोटों के 100 फीसदी सत्यापन की मांग करने वाली याचिका पर यह फैसला दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय पेपर बैलेट की मांग को भी खारिज कर दिया है। वीवीपीएटी एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली हैष इसके जरिए वोटर यह जान सकते हैं कि उनका वोट उसी व्यक्ति को गया है या नहीं जिन्हें उन्होंने वोट दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोटों का वीवीपीएटी के साथ सत्यापन करने संबंधी अनुरोध वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस दौरान बेंच ने चुनाव आयोग की आयोग की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एश्वर्या भाटी से कहा था कि हम गलत साबित नहीं होना चाहते, बल्कि अपने निष्कर्षों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं। इस कारण हमने स्पष्टीकरण मांगने की सोची। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमने सभी याचिकाओं को खारिज किया है। लोकतंत्र अपने विभिन्न स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास पर आधारित है। इस पर कोर्ट का रुख साक्ष्यों पर आधारित रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वहीं जस्टिस दीपांकर दत्ता ने फैसला सुनाते समय कहा कि किसी प्रणाली पर आंख मूंदकर संदेह करना सही नहीं है। इसलिए हमारे अनुसार सार्थक आलोचना की आवश्यकता है। चाहे वह न्यायपालिका हो, विधायिका आदि हों। लोकतंत्र का अर्थ सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखना है। विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कोर्ट ने दिए खास निर्देश
जस्टिस खन्ना ने आगे कहा कि हमनें दो निर्देश दिया है। पहला निर्देश यह है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाना चाहिए। एसएलयू को कम से कम 45 दिनों की अवधि के लिए संग्रहित किया जाना चाहिए। वहीं, क्रम संख्या 2 और 3 में उम्मीदवारों के अनुरोध पर परिणामों की घोषणा के बाद इंजीनियरों की एक टीम द्वारा माइक्रोकंट्रोलर ईवीएम में जली हुई मेमोरी की जांच की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये सुझाव
कोर्ट ने कहा है कि ऐसा अनुरोध परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वीवीपैट की गिनती में मशीन की मदद लेने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है। दो जजों की पीठ ने वीवीपैट की गिनती के मुद्दे पर समवर्ती, लेकिन अलग-अलग फैसले सुनाए। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कोई प्रत्याशी वेरिफिकेशन की मांग करता है तो उस स्थिति में इसका खर्चा उसी से वसूला जाए। अगर ईवीएम में कोई छेड़छाड़ मिलती है तो उसे खर्चा वापस किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आयोग से पूछे थे ये सुझाव
-माइक्रो कंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में लगा होता है या फिर वीवीपैट में ?
-क्या माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्रेमबल होता है ?
-आयोग के पास चुनाव चिन्ह अंकित करने के लिए कितने यूनिट उपलब्ध हैं ?
-आपने कहा कि चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि 30 दिन है और इस प्रकार स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है, लेकिन लिमिटेशन डे 45 दिन है, आपको इसे सही करना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट के दो निर्देश
-सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिन के लिए स्टोर किया जाए।
-रिजल्ट की घोषणा के बाद अगर दूसरे या तीसरे नंबर पर आए किसी कैंडिडेट को आपत्ति है तो वह 7 दिन के भीतर शिकायत करे। EVM के भीतर माइक्रोकंट्रोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर्स की टीम करेगी। इस शिकायत के बाद वेरिफिकेशन की प्रोसेस का खर्च कैंडिडेट ही उठाएगा। अगर जांच में पता चलता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो जो खर्च कैंडिडेट ने किया है, उसे री-फंड कर दिया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कोर्ट के चुनाव आयोग को 2 निर्देश
1. इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए।
2. देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page