36 चिताएं ठंडी भी नहीं पड़ी, दिल्ली में उत्तराखंड निवास का लोकार्पण धामी सरकार की संवेदनहीनता
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्रियों, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की ओर से दिल्ली में उत्तराखंड निवास के लोकार्पण कार्यक्रम की कड़ी निंदा की। इस मामले में उन्होंने धामी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अभी अल्मोड़ा के मार्चुला के मृतकों की चिता की आग ठंडी भी नहीं पड़ी और प्रदेश करकार राज्य स्थापना दिवस के नाम पर लोकार्पण और उद्घाटन करने में जुट गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने उत्तराखंड निवास के उद्घाटन समारोह और वहां हुए हवन पूजन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की अल्मोड़ा के मार्चुला में हुई बस दुर्घटना में 36 मौतों और 26 लोगों के घायल होने के कारण उत्तराखंड सरकार आलीशान उत्तराखंड निवास के उद्घाटन समारोह को कुछ दिनों के लिए टाल भी सकती थी। क्या यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नहीं है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को गरम-गरम खाकर मुंह जलाने की आदत सी पड़ गई है। ठीक इसी तरह केदारनाथ विधानसभा की दिवंगत भाजपा विधायक के अंतिम संस्कार के समय पर मुख्यमंत्री ने दिल्ली के बौराड़ी में केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर का शिलान्यास किया। साथ ही वह अपने ही दल की दिवंगत विधायक को सम्मानजनक विदाई तक नहीं दे पाए। उसका सबक तो उन्हें केदारनाथ विधानसभा की जनता सिखाएगी ही, परंतु आज उत्तराखंड को रोता बिलखता छोड़ जिस तरह से उत्तराखंड सरकार राज्य वासियों को पीठ दिखाकर दिल्ली में उत्तराखंड निवास का उद्घाटन और हवन पूजन किया हैं, उसकी जितनी निंदा की जाए उतना कम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कि धामी सरकार ने एक और बड़ी गलती की, जब एयर एंबुलेंस पूरी तरह से तैयार नहीं थी, तो 29 अक्टूबर को धन्वंतरी योजना के तहत प्रधानमंत्री की किरकिरी कराने के लिए ऋषिकेश एम्स की एयर एम्बुलेंस का उद्घाटन उनसे क्यों कराया गया। उद्घाटन के एक हफ्ते बाद हुए बस हादसा हुआ और एयर एंबुलेंस इस्तेमाल में नहीं ली जा सकी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कि अल्मोड़ा में हुए बस हादसे में 36 लोगों ने अपनी जान गवा दी और 26 लोगों का अस्पताल में उपचार चल रहा है, ऐसे में जो दुर्घटना घटी वह दैवीय या प्राकृतिक आपदा नहीं थी, यह मानवीय भूल थी। सिस्टम की कमजोरी थी। 42 सीटर बस में 63 लोगों का बिना कोई रोक टोक यात्रा करना, सड़क का खस्ता हाल होना और घायलों को सही समय पर उपचार न मिल पाना, इन सबके लिए विभागीय मंत्रियों समेत समूची सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा ने कहा कि हिंदू धर्म के ठेकेदार यह कैसे भूल गए कि हिंदू धर्म में 13वीं के बाद ही कोई शुभ कार्य किए जाते हैं। यहां तो 72 घंटे भी नहीं बीते कि सत्ताधारी सरकारी कार्यक्रमों में शिरकत करने लगे हैं। दसौनी ने कहा की उत्तराखंड की जनता धामी सरकार की संवेदनहीनता के लिए आने वाले समय में निश्चित रूप से सबक सिखाएगी और भाजपा सरकार को इस संवेदनहीनता का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।