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March 10, 2025

आर्थिक रूप से सामान्य वर्ग के कमजोर तबके को दस फीसद आरक्षण सुप्रीम कोर्ट ने माना जायज

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है। संविधान पीठ ने 3 :1 के बहुमत से संवैधानिक और वैध करार दिया है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने बहुमत का फैसला दिया। वहीं, सीजेआइ (CJI) यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट ने असहमति जताते हुए, इसे अंसवैधानिक करार दिया। जस्टिस रविंन्द्र भट्ट ने कहा कि 103 वां संशोधन भेदभाव पूर्ण है। 2019 का संविधान में 103 वां संशोधन संवैधानिक और वैध करार दिया गया है। अदालत ने कहा कि- EWS कोटे से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं हुआष आरक्षण के खिलाफ याचिकाएं खारिज की गई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 50 फीसद कोटा को बाधित नहीं करता है। ईडब्ल्यूएस कोटे से सामान्य वर्ग के गरीबों को फायदा होगा। ईडब्ल्यूएस कोटा कानून के समक्ष समानता और धर्म, जाति, वर्ग, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर और सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। वहीं जस्टिस रविंन्द्र भट्ट ने कहा कि इस 10 फीसद रिजर्वेशन में से एससी/एसटी/ ओबीसी को अलग करना भेदभावपूर्ण है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि बहुमत के विचारों से सहमत होकर और संशोधन की वैधता को बरकरार रखते हुए, मैं कहता हूं कि आरक्षण आर्थिक न्याय को सुरक्षित करने का एक साधन है। इसे निहित स्वार्थ की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस कारण को मिटाने की यह कवायद आजादी के बाद शुरू हुई और अब भी जारी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने EWS आरक्षण को संवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। ये आरक्षण संविधान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। ये समानता संहिता का उल्लंघन नहीं है। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने भी आरक्षण को सही करार दिया। इस पर जस्टिस माहेश्वरी से सहमति जताई है। जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि अगर राज्य इसे सही ठहरा सकता है तो उसे भेदभावपूर्ण नहीं माना जा सकता। EWS नागरिकों की उन्नति के लिए सकारात्मक कार्रवाई के रूप में संशोधन की आवश्यकता है। असमानों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता। SEBC अलग श्रेणियां बनाता है। अनारक्षित श्रेणी के बराबर नहीं माना जा सकता। ईडब्ल्यूएस के तहत लाभ को भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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