युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-लोगों को सिर्फ क्यों दिखती है शहर की चहल पहल

लोगों को सिर्फ क्यों दिखती है
शहर की चहल पहल, शानों-शौक़त
क्यों किसी को नही दिखती
वो कूड़ा बिनती लाचार औरत
क्यों नही दिखते वो लाचार बच्चे
जो दिन भर सड़को पर मारे-मारे फिरते ।
फेंका जाता है खाना
तब भी कचरे मे..
जब पता है ये भी कि
मर रहा है कोई भूखा एक अरसे से।
तुम काबिल हो न
तो तुम उनकी थोड़ी सी मदद कर देना ..
ज्यादा कुछ नही
तो सिर्फ इतना कर देना…
जब भी दिखे तुम्हें ये लोग
तुम मुस्कान देकर मदद के लिए हाथ बढ़ा देना।
जिनके घर चूल्हे नहीं जलते ….
तुम उनके मुँह निवाले रखना ।
हो त्योहार तो
तुम उनके घर भी खुशियों की तैयारी रखना।
जहाँ अड़ी हो रात ज़िद्द पर…
तुम उनके लिए उजाले रखना।
इन सब से ………
दुःख उनका कितना कम होगा
इसका तो पता नही….
पर शायद ………..
उन्हें भी लगे
दुनिया थोड़ी सी ही सही मगर ….
खूबसूरत तो है।
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (तृतीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।





