युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-तब माँ याद आती है
युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-तब माँ याद आती है।
जब बच्चा बड़ा हो जाता है
तब माँ याद आती है।
जब चाँदनी रात मे चाँद छुप जाता है
हर तरफ अँधेरा छा जाता है
तब माँ याद आती है।
जब भीड में खुद को अकेले पाते है
जब छोटी-छोटी बातों पर सहम जाते है
जब खुद को किसी के लिए जरूरी नही पाते है
तब माँ याद आती है।
जब हिस्से में असफलताएँ आती दिखती है
जब सपना टूटता नज़र आता है
जब अपना छूटता नज़र आता है
तब माँ याद आती है।
जब हमारी कोई बात समझ नही पाता
हम किसी को अपनी बात समझा नही पाते
हम रोना चाहते है मगर रो नही पाते
तब माँ याद आती है।
जब भूख मिट जाती है
जब नींद गुम हो जाती है
अँधेरे कमरों में जब कल के चिन्ता सताती है
तब माँ याद आती है।
खुशियों में शायद कुछ यादें धुँधली पड़ जाती है
मगर जब भी दुःख आता है
तब माँ याद आती है।
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (तृतीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।