हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में सीपीआर तकनीक पर कार्यशाला, जीवनदायिनी से कम नहीं सीपीआरः डॉ. वीना अस्थाना
उन्होंने कहा कि (सीपीआर) तकनीक का ज्ञान मेडिकल के छात्रों के साथ नॉन क्लिीनिकल छात्रों को भी होना चाहिए, जिससे की जरूरत पड़ने पर किसी का जीवन बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि देश में हर साल लाखों लोगों की दिल की बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। इनमें से पचास फीसदी लोगों की मौत वक्त पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह से होती है। ऐसे में सीपीआर तकनीक किसी जीवनदायिनी से कम नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. पारुल ने कहा अगर किसी शख्स को दिल का दौरा पड़ा है तो उसकी जीवन की रक्षा के लिए शुरुआती कुछ मिनट बेहद अहम होते है। ऐसे में सीपीआर तकनीक का इस्तेमाल कर प्रभावित व्यक्ति का जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को इस जीवनदायी तकनीक का प्रशिक्षण लेना चाहिए। क्योंकि आपातकालीन स्थिति से सामना कहीं भी और कभी भी हो सकता है। कार्यशाला में प्रतिभागियों ने पुतलों पर सीपीआर देने का अभ्यास किया और वीडियो के माध्यम से सीपीआर की तकनीक को समझा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।