नौकरी चली गई तो मांगने लगा भीख, बना हाईटेक भिखारी, देता है आवाज-बाबूजी चिल्लर नहीं है तो फोन पे या गूगल पे कर दो
नौकरी चले जाने के बाद कई लोग तो संभल जाते हैं और दूसरे काम में लग जाते हैं, लेकिन जब किसी के सामने दो जून की रोटी जुटाने का कोई साधन नहीं होता तो वह भिखारी बनने से भी संकोच नहीं करता है।
नौकरी चले जाने के बाद कई लोग तो संभल जाते हैं और दूसरे काम में लग जाते हैं, लेकिन जब किसी के सामने दो जून की रोटी जुटाने का कोई साधन नहीं होता तो वह भिखारी बनने से भी संकोच नहीं करता है। अब यहां हम ऐसे भिखारी की बात करने जा रहे हैं, जो सामने वाले से जब भीख मांगता है तो उसे खाली नहीं लौटना पड़ता। वह कहता है बाबूजी चिल्लर नहीं है तो फोन पे या गूगल पे कर दो। उसने भीख मांगने के लिए हाईटेक तरीका अपनाया है। यानी कि वह अपने बैंक अकाउंट का डिजिटल बार गले में तख्ती की तरह लटका कर रखता है। इसी कोड को दिखाकर वह डिजिटली भीख मांगने में सफल हो जाता है।ऐसे में इस भिखारी के सामने ये बहाना भी नहीं चल पाता कि मेरे पास छुट्टे पैसे नहीं है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक शख्स डिजिटल तकनीक से भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा है। छिंदवाड़ा शहर की गलियों में हेमंत सूर्यवंशी नाम का शख्स अपने हाथ में डिजिटल लेनदेन का बार कोड लेकर लोगों से भीख मांगते अक्सर देखा जाता है।
जैसे ही वह किसी व्यक्ति के पास पैसे मांगने पहुंचता है और सामने वाला व्यक्ति यदि छुट्टे पैसे ना होने का बहाना बनाने लगता है तो वह तत्काल अपना डिजिटल बार कोड दिखाकर उनसे पैसे ट्रांसफर करा लेता है। हेमंत का भीख मांगने का अंदाज भी निराला है. वह कहता है- कि बाबूजी चिल्लर नहीं है तो फोन पे या गूगल पे से भीख दे दो। भिखारी का कहना है कि लोग डिजिटल तकनीक के चलते भीख भी आसानी से बारकोड स्कैन कर दे देते हैं। इस तरह उसे अक्सर ₹5 से ज्यादा ही पैसे मिलते हैं।
दरअसल हेमंत सूर्यवंशी मूल रूप से पहले नगर पालिका परिषद में कार्यरत था। किसी कारणवश उसे नौकरी से हटा दिया गया। नौकरी जाने के गम में वहां लगातार इधर उधर भटकते रहा। बाद में वहां अब भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा है। हाथ में मोबाइल फोन और वारकोड लेकर इधर उधर भटक रहा हेमंत भले ही भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा है, लेकिन वह डिजिटल तकनीक कभी खूब प्रचार कर रहा है।





