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November 11, 2024

देखें वीडियोः हरीश रावत का वर्चुअली प्रचार, जागेश्वर से जोड़ा भावनात्मक रिश्ता, किए ये वादे

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने अपने फेसबुक लाइव, वर्चुअल चुनाव प्रचार के क्रम में विधानसभा जागेश्वर की जनता को सम्बोधित किया।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने अपने फेसबुक लाइव, वर्चुअल चुनाव प्रचार के क्रम में विधानसभा जागेश्वर की जनता को सम्बोधित किया। जागेश्वर में उन्होंने अपना पुराना भावनात्मक रिश्ता जोड़ा। उन्होंने अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों को गिनाया। साथ ही आगामी योजनाओं पर भी चर्चा की। कुछ वादे भी किए और कांग्रेस को सफल बनाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि ज्योतिर्लिंग में जागेश्वर धाम भगवान शिव का धाम, वहीं माँ बानड़ी देवी जी का मंदिर भी यहाँ विराजमान है। भगवान शिव को याद करते हुए कहा कि कांग्रेस का भी यह क्षेत्र मायका है। आजादी के आंदोलन में भी यहाँ के लोगों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। उन्होंने आज़ादी के आंदोलन के कई सेनानियों- जिनमें टीका सिंह, नर सिंह, दुर्गा दत्त, इंद्रदेव कांडपाल जी सहित कईयों का नाम लेते हुए उनको नमन किया। कहा कि आजीवन गांधीवाद का पालन कर हम सबका गौरव बढ़ाया है। उन्होंने उत्तराखंड राज्य आन्दोलन में सुरेश डालाकोटी, शान्ति बिष्ट, तारा दत्त माल चन्द राम आदि के नाम भी याद करते हुए उनके योगदान को राज्य आन्दोलन के लिये महत्वपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि संकट के समय भी कांग्रेस का मनोबल बढ़ाने में इस इलाके बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा जब कभी कांग्रेस का बुरा वक्त आता था तो सब लोग कहते थे कि जैंती, लमगड़ा, पनार, दनिया आदि क्षेत्रों का नम्बर आने दो। हम आगे हो जायेंगे, पर ऐसा हुआ नहीं। उन्होंने कहा कि जब इस इलाके तरफ आता हॅू, देखता हूं तो खटकता है कि हमने मुंशी हरि प्रसाद टम्टा जी के नाम पर एक पर्वतीय शिल्प संस्थान की स्वीकृति कर 100 करोड़ रूपया भी स्वीकृत किया था। इस भाजपा सरकार ने उसको कहां भटका दिया है?
हमने ऋषिकेश व जागेश्वर में योगा महोत्सव का निर्णय लिया था व जागेश्वर में हुआ भी। पिछले दो वर्ष से वो भी कहीं गुम हो गया है। वहां के लोगों का रचनात्मक दिशा में आगे चलने में बड़ा भारी योगदान रहता है। उन्होंने जनरल बी सी. जोशी व भनौली के वीर सिंह जी सहित कई लोगों को याद किया। उन्होंने कहा मुझे गर्व है कि मुझे गांधीवादी गोविन्द सिंह कुंजवाल, उनके भाई केदार सिंह कुंजवालव परिवार के सभी सदस्यों का रचनात्मक सहयोग मिलता रहा है। जब मैं तौली की तरफ चलता हूं तो ऐसा कोई गाड़-गधेरा नहीं, जो कुंजवाल ने नहीं जोड़ा है, जहां विकास का प्रकाश न पहुंचा हो।
उन्होंने कहा कि हमने तीन तहसील बनाई और 1 तहसील बाद में बनाई जो भाजपा सरकार ने रोक दी। इसके अलावा कई पौलीटेक्निक कॉलेज, आईटीआई आदि हमने खोले हैं। वहीं मंहगाई पर भाजपा की केन्द्र व राज्य सरकार को घेरने से भी हरीश रावत नहीं चूके। लगे हाथ अपनी पेंशनों को भी गिनाया। कहा कि हमने 3 वर्षों के अंदर 1 लाख 15 हजार से समाज कल्याण की पेंशनों को बढ़ाकर 7 लाख, 25 हजार से ऊपर पहुंचाया। राशि को बढ़ाकर 1000 और 1250 रुपये किया। अब 1800 रुपये तक करेंगे। हमने 18 प्रकार की पेंशनें प्रारंभ की। अब हमारा वादा है कि हम इस संख्या को 21 पेंशनों के साथ 10 लाख तक पहुंचाएंगे।
उन्होंने कहा कि हमने इसमें 3 नई पेंशनें प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। पहली कुड़ी-बाड़ी पेंशन योजना जो 40 वर्ष से ऊपर के उन लोगों को मिलेगी, जो दूर-दराज के गाँवों को आबाद किये हुये हैं। दूसरी पेंशन योजना उन श्रमिकों के लिये है जो पुल, सड़क और दूसरे निर्माण कामों में लगे हुए हैं। तीसरी पेंशन योजना हमारे मंगल गीत गाने वाली बहनों के लिए है। हम मांगलिक गीतों के समूहों से जो महिलाएं संबद्ध हैं उन सबको पेंशन योजना के अंतर्गत लाएंगे।

उन्होंने कहा कि हम स्कूल के ड्रेस व अन्य उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दे कर 28नए तरह के कार्यों में रोज़गार देकर स्वरोज़गार में लोगों को लगाएंगे। स्थानीय कृषि उत्पाद में बोनस देकर गाँवों को सड़क से जड़ पलायन को रोकने का काम करेंगे। हमने किया है, आगे भी करके दिखाएंगे। आप इंतजार करिये 2022 के परिणामों का मंहगाई के लिये भी उन्होंने कहा की रसोई गैस सिलैण्डर की कीमत कम करने व बीजली पर सब्सिडी देने की बात को भी देाहराया। रिक्त पड़े हुये 32 हजार पदों को सत्ता में आते ही भरने का काम करेंगे।
हरीश रावत ने कहा कि हम 10 प्रतिशत पदों में वृद्धि करेंगे। सूक्ष्म स्वरोजगार के नये अवसर तलाशेंगे और लोगों को उससे जोड़ने की बात कही। उन्होंने अपने पुराने रिस्ते की दुहाही देते हुये कहा कि यह तब संभव होगा जब गोविन्द सिंह कुंजवाल जी उत्तराखण्डियत की लड़ाई लड़ने में मेरे साथ रहेंगे। इनके हाथ मजबूत करने से ही मेरे हाथ मजबूत होंगे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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