उत्तराखंड और यूपी के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगा उत्तराखंड लोकतांत्रिक मोर्चा
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर उत्तराखंड लोकतांत्रिक मोर्चा अब सुप्रीम कोर्ट की शरण लेगा। इसे लेकर मोर्चा के साथ ही विभिन्न संगठनों के नेताओं ने प्रेस वार्ता कर उत्तराखंड के जल, जंगल, जमीन के मुद्दे की लड़ाई को तेज करने की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि राज्य की परिसम्पतियों में विशेष तौर से जल संसाधनों पर उत्तराखंड का कब्जा होना चाहिए। ऐसे में तमान जनसंगठन के साथ मिलकर संयुक्त रूप से एक पीआइएल दाखिल की जाएगी। इसमें मोर्चा, उक्रांद, उत्तराखंड पूर्व सैनिक अर्द्ध सैनिक सयुंक्त संगठन, मातृ भूमि सेवा पार्टी, आदि संगठन पार्टी बनने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य की परिसम्पतियों पर उत्तराखंड के अधिकारों को पुनर्स्थापित करने के संघर्ष से ही उत्तराखंड राज्य आंदोलन का जन्म हुआ था। इसके बावजूद दुख की बात ये है कि आंदोलन में भागीदार रहे राजनेता अब उत्तराखंड के हित में परिसंपत्तियों के मामले में यूपी के आगे घुटने टेक रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड लोकतांत्रिक मोर्चा ने राज्य के अधिकारो के लिये संघर्ष करने लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कमर कस ली है। इसके लिए उत्तराखड क्रांति दल ने मोर्चे को प्राधिकृत किया है। राज्य के जल पर राज्य का अधिकार प्राप्त करने के लिये उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी कर लिया है। इस मौके पर मुख्यरूप से उक्रांद के पूर्व अध्यक्ष बीडी रतूडी, त्रिवेंद्र पंवार, चन्द्र शेखर कापड़ी मोर्चा के पीसी थपलियाल, कुलदीप रावत मुख्य रूप से मौजूद थे
याचिका का आधार
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अध्याय 9, की धारा 79 से 84, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 व अनुच्छेद 246(3) के अधीन कानून की रक्षा का अधिकार तथा सातवीं अनुसूची की राज्य-सूची की प्रवृष्टि 17 का खुला उल्लंघन है।
2. अनुच्छेद 246 की सातवीं अनुसूची की राज्य-सूची की प्रवृष्टि 17 के अनुसार जल, राज्य का विषय है। अतः उ.प्र. पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अध्याय 9, की धारा 79 से 84, अनुच्छेद 246 का उलंघन है।
3. उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अध्याय 9, की धारा 79 से 84 के साथॉ के साथ संविधान की संघ सूची की प्रविष्टि 56 के अनुरूप; संसद द्वारा बिना कानून बनाये जनहित में हितकर (expedient) होने की घोषणा (दूसरे शब्दो में ऐसा न करना जनहति में क्षति सम्भव है) पारित किया गया है। अतः यह संविधान के अनुच्छेद 246 का उल्लंधन है।
अपेक्षित प्रार्थना/याचना
1. उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अध्याय 9, की धारा 79 से 84 को कानून-विरोधी (ultra vires) घोषित करने की न्यायादेश (writ) या समुचित निर्देश जारी कर दें।
2. उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अध्याय 9 को रद्द करने लिये न्यायादेश (writ) या
समुचित निर्देश जारी कर दें।
3. उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 43(1)(अ) के अधीन, उत्तराखण्ड राज्य-क्षेत्र में स्थित जल-विद्युत परियोजनाओ में उत्तराखण्ड के अधिकार को पुनर्स्थापितॉ करने के समुचित न्यायादेश (writ) या समुचित निर्देश जारी कर दें।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।