उत्तराखंड के सीएम धामी पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप, बूथ में पार्टी चिह्न के साथ प्रवेश, पत्नी भी पोलिंग बूथ में प्रचार को पहुंची
उत्तराखंड विधानसभा में मतदान के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी पत्नी पर बीजेपी के चुनाव चिह्न वाला स्कार्फ पहनकर पोलिंग बूथ जाने के लिए चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा है।
सीएम धामी उधमसिंह नगर जिले की खटीमा विधानसभा से प्रत्याशी हैं। वह मतदान के लिए पत्नी के साथ बूथ पर गए। आरोप है कि प्रचार समाप्त होने के बाद भी वह प्रचार करते रहे। । यही नहीं, धामी की पत्नी गीता पर भी आचार सहिंता के उल्लंघन के आरोप लगे। वह एक पोलिंग बूथ में बीजेपी का स्कार्फ पहने प्रचार करते हुए देखी गई। वहीं, सीएम धामी भी बूथ में जाते दिखे। उन्होंने सुबह वोट डाल दिया था। इसके बावजूद वह दोबारा पोलिंग बूथ में गई। उन्हें किसी पुलिसकर्मी ने रोका तक नहीं। अन्य बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी सीएम धामी की तरह पोलिंग बूथ में बीजेपी के स्कार्फ पहने देखा गया।
इस दौरान सुरक्षाकर्मी और पोलिंग अधिकारी मूकदर्शक बने रहे। मीडिया की ओर से इस संबंध में जब सवाल पूछा गया तो धामी की पत्नी ने कहा कि यह प्रचार नहीं है। मैं इसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं मानती। हम हर चुनाव में बूथों में जाते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लोग पहले ही वोट को लेकर मन बना चुके हैं, पार्टी जीत रही है।
एक दिन पहले भी धामी के खिलाफ आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप उस समय सामने आए जब आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड यूनिट ने उन पर वोटरों को रुपये बांटने का आरोप लगाया। ये भी आरोप लगाया कि महिलाओं को साड़ी बांटी जा रही थी। वायरल हुए वीडियो को शेयर करते हुए आप’ की राज्य इकाई ने आरोप लगाया कि खटीमा सीट से उसके प्रत्याशी एसएस कलेर ने सीएम को ‘रंगे हाथों पकड़ा’ और राज्य के चुनाव आयोग और चुनाव अधिकारी से हस्तक्षेप का आग्रह किया।
हालांकि वीडियो में कहीं कोई पैसे देते और साड़ी बांटते नहीं दिख रहा था। मौके पर लोगों के साथ ही बीजेपी और आप कार्यकर्ताओं की भीड़ थी। प्रचार अभियान थमा हुआ था और ऐसे में आप ने सीएम के प्रचार करने पर सवाल उठाए थे। वीडियो में सीएम धामी की आप कार्यकर्ताओं से बहस हो रही थी। वे उनसे पूछ रहे थे कि यदि हम जनता से मिलने आए तो तुम भी तो मिल रहे हो। चुनाव आयोग को दी गई शिकायत में आम आदमी ने मांग की है कि धामी की उम्मीदवारी रद्द की जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।