सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यूपी सरकार का रोलबैक, सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस वापस
यूपी सरकार ने सीएए (CAA)विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस वापस ले लिए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकरा को फटकार लगाई थी। राज्य सरकार की ओर से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर यह कार्रवाई की गई थी।

वहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसकी सराहना करते हैं। अदालत ने यूपी सरकार को उन लोगों को रिफंड देने का निर्देश दिया, जो पहले ही वसूली के लिए भुगतान कर चुके हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 2020 में आए कानून के तहत नई कार्रवाई और नोटिस शुरू करने की स्वतंत्रता दी।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने 2019 में सीएए विरोधी 274 प्रदर्शनकारियों को उनके द्वारा कथित तौर पर सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए जारी नोटिस वापस ले लिया है। उनके खिलाफ कार्यवाही भी वापस ले ली गई है। उत्तर प्रदेश सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकार ने 14 और 15 जनवरी को आदेश जारी कर सभी 274 नोटिस को वापस ले लिए गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने नए कानून कर तहत नया नोटिस जारी करने की इजाजत मांगी थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि नए नोटिस के तहत कोर्ट के सभी आदेशों का पालन किया जाएगा। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस वापस लें, वरना हम इसे रद्द कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2019 में एंटी- CAA प्रदर्शनकारियों को जारी किए गए रिकवरी नोटिस वापस लेने का आखिरी मौका दिया। अदालत ने चेतावनी दी कि वह कानून के उल्लंघन के लिए कार्यवाही को रद्द कर देगी।
सुप्रीम ने कहा कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत थी, इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए कार्यवाही करने में खुद एक शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक की तरह काम किया है। कार्यवाही वापस ले लें या हम इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन करने के लिए इसे रद्द कर देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम (CAA) के आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग करने वाले एक परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के नोटिस एक व्यक्ति के खिलाफ “मनमाने तरीके” से भेजे गए हैं, जिसकी मृत्यु छह साल पहले 94 वर्ष की आयु में हुई थी और साथ ही 90 वर्ष से अधिक आयु के दो लोगों सहित कई अन्य लोगों को भी भेजा गया था।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।