उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाया जाएगा विशेष सत्र, बहुविवाह पर प्रतिबंध, लिव इन रिलेशन का पंजीकरण
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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का ड्राफ्ट तैयार काफी समय पूर्व हो गया था। अब लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर प्रदेश की बीजेपी सरकार तुर्प का पत्ता खेलने की तैयारी कर रही है। राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार इसे कानूनी अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले हफ्ते यूसीसी (UCC) लागू करने वाला उत्तराखंड, देश का पहले राज्य बन जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूत्रों के मुताबिक रंजना देसाई के नेतृत्व में बनी समिति अगले एक या दो दिन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंप सकती हैं। इसे लेकर राज्य में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी भी की जा रही है। खबरों के मुताबिक दीपावली के बाद धामी सरकार विधानसभा के विशेष सत्र बुला सकती है, जिसके बाद इस रिपोर्ट को विधानभवन में रखा जाएगा और फिर इसे कानून की शक्ल दी जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां पर कॉमन सिविल कोड लागू होगा। सूत्रों की माने तो इसके ड्राफ्ट में बहुविवाह पर प्रतिबंध, लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान रखे गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बीजेपी हमेशा से देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लाए जाने के समर्थन में रही है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पुष्कर धामी ने घोषणा की थी अगर फिर से राज्य में बीजेपी की सरकार आई तो वो राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेंगे। चुनाव में जीत के बाद धामी सरकार ने 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसमें चार सदस्य शामिल किए गए थे। बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया था। इस समिति का अब तक तीन बार कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि, केंद्र सरकार इसे लागू करने में तेजी नहीं दिखा पाई है। पूरे देश में इसे लागू में बीजेपी की केंद्र सरकार एक तरफ से इस मामले को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। कारण ये है कि बीजेपी के ही कई सांसदों ने इसका विरोध किया और इससे आदिवासी समुदाय को अलग रखने की वकालत की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है रणनीति
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी एक बार फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे को जिंदा करना चाहती है। अगर उत्तराखंड में ये कानून लागू हो जाता है तो बीजेपी इसे केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों में अपनी उपलब्धि के तौर पर इस्तेमाल करेगी। यूसीसी की रिपोर्ट मिलने के बाद धामी सरकार इसे सदन में पेश करने से पहले कानून के जानकारों की राय भी ले सकती है ताकि इसे लागू करते वक्त कोई परेशानी न हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं प्रस्तावित प्रावधान
सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड विधानसभा में जो मसौदा विधेयक पेश किया जाएगा, उसमें सरकार बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है। लिव-इन जोड़ों के लिए अपने रिश्ते को पंजीकृत कराने का भी प्रावधान इसमें रखा गया है। दरअसल, यूसीसी कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है, जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है और यह विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों से निपटने में धर्म पर आधारित नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है यूसीसी
समान नागरिक संहिता का जिक्र संविधान के अनुच्छेद 44 में है. अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्यों को कई सुझाव दिए गए हैं। इसी में से एक है समान नागरिक संहिता। यह देश के हर नागरिक को विवाह, तलाक, गोद और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समान अधिकार देता है। चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म या समुदाय से हो, देश का कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा। अभी अलग-अलग धर्म और समुदायों के व्यक्तिगत कानून हैं। आपराधिक कानून एक ही है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।