युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की दो कविताएं-बलात्कार, ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना
बलात्कार
तुम हो पुरूष तुमको बलात्कार करने का जन्म से अधिकार है।
बहन बेटियों का बलात्कार हम मुर्दों को सहर्ष स्वीकार है।।
हम तब भी चुप थे और अब भी यूँ ही चुप रहेंगे बैठे।
क्योंकि हमको तो अपनो की बारी का बेचैनी से इन्तज़ार है।।
तुम हो पुरूष तुमको बलात्कार करने का जन्म से अधिकार है।
हुये जो थोड़ा बहुत भी गुस्सा तो चलो मोमबत्ती हम जलायेगे।
कोसेंगे सत्ता,शासन,सरकारों को और चद्दर तान के सो जायेंगे।।
इज्ज़त लूटना और लुटती इज्ज़त को चुपचाप देखना।
यही नाम है मरदानगी का तो ऐसी मरदानगी को मेरा दुत्कार है।।
तुम हो पुरूष तुमको बलात्कार करने का जन्म से अधिकार है।
ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना
अपने स्वार्थ के लिए धरा आसमां बाटेंगे।
पेड़-पौधे,जीव-जंतु सब कुछ काटेंगे।।
व्यर्थ करेंगे जल और पिघला देंगे सारा हिम।
अपनों के ही लाशों से इस धरा को पाटेंगे।।
अपने स्वार्थ के लिए……….
हम हैं इंसान ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना।
हमसे कुछ भी नही है सुरक्षित बचना।।
जीव जंतु है भोज हमारे,इनको हमसे कौन उबारे।
अपने पापों से हम अपनी वंश बेल को काटेंगे।।
अपने स्वार्थ के लिए………
करेंगे दोहन जल का और थल का भी।
इस शुद्ध वायू और इस अनल का भी।।
होती है रुष्ट ये प्रकृति एक तने के कटने से।
फिर भी हम बड़े से बड़े जंगलों को काटेंगे।
अपने स्वार्थ के लिए……….
अपने स्वार्थ के लिए धरा आसमां बाटेंगे।
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रूची है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।