बाल कवयित्री दीपिका की दो कविताएं-मैडम और हिदुस्तान
मैडम
मैडम मेरी खास हैं,
डालती पढ़ाई का धास है।
मैडम मेरी बड़ी निराली,
सबकी प्यारी, सबकी न्यारी।
धर्म उसका एक ही है,
पढ़ाना उसका काम ही है।
मैडम मेरी बड़ी निराली,
सबकी प्यारी सबकी न्यारी।
विधा धर्म से पीछे न हटना,
हमेशा आगे बढ़ते रहना।
मैडम मेरी बड़ी निराली,
सबकी प्यारी सबकी न्यारी।
गुरु धर्म सबसे प्रिय हे मुझे,
पढ़ना सबसे प्रिय हे मुझे।
मैडम मेरी बड़ी निराली,
सबसे प्यारी सबसे न्यारी।
हिदुस्तान
भारत की हम जान है,
हिदुस्तान की शान है।
उड़ते पंछी होते हम,
जाते सारे दुनिया में हम।।
हिदुस्तान का कोना
भ्रमण करके आते।
चंद्रयान गया भारत से,
विजय पताका फहराते।।
विज्ञान पर गर्व है हमको,
जिसने शान भारत को दिलाई।
लक्ष्मीबाई बड़ी बहादुर,
हमनें सीख इनसे पाई।।
अंग्रेजो से छुटकारा,
हमे दिलाकर गई।
लडते-लडते वह सीख,
हमको सीखाकर गई।।
हम भी कुछ ऐसा कर जायें,
जिससे हम भी बने महान।
डॉ, सिपाही ,आदि कुछ तो,
कार्य करें बने महान।।
कवयित्री का परिचय
कु. दीपिका
कक्षा -7
राजकीय पूर्व माध्यमिक, विद्यालय डोईवाला देहरादून।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।