बुजुर्ग की टांग के रूप में मुसीबत आई और चली गई, घटना में आखिर दोषी कौन
मुसीबत कभी बता कर नहीं आती। यह आती है और चली जाती है। मुसीबत से कई बार व्यक्ति आसानी से बच जाता है, तो कई बार यह पीछा नहीं छोड़ती। कभी तो अपनी गलती भी नहीं हो और व्यक्ति मुसीबत में फंस जाता है।
मुसीबत कभी बता कर नहीं आती। यह आती है और चली जाती है। मुसीबत से कई बार व्यक्ति आसानी से बच जाता है, तो कई बार यह पीछा नहीं छोड़ती। कभी तो अपनी गलती भी नहीं हो और व्यक्ति मुसीबत में फंस जाता है। दूसरों को देखने में लगता है कि हमारी ही गलती होगी। एक बार मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। जब मुझे लगा कि मेरी गलती है, लेकिन फिर लगा कि मैं सही था। गलती तो दूसरे की थी। खैर उस मुसीबत से किसी तरह मैं बच निकला, लेकिन आज भी ये घटना मुझे याद आती रहती है।करीब तीस साल पहले की बात है। किसी तरह पाई पाई बचाकर मैने एक विजय सुपर कंपनी का सेकेंड हैंड स्कूटर खरीदा। वो स्कूटर करीब 2300 रुपये में मैने लिया। तब 2300 रुपये भी बड़ी रकम मानी जाती थी। मुझे स्कूटर का शोक था, इसलिए मैने सोचा कि कभी कभी मौज मस्ती के लिए स्कूटर की सवारी कर ली जाए। तब शायद पांच रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पेट्रोल मिलता था।
शुरुआत में मैने स्कूटर खूब घुमाया। तभी पेट्रोल पंप वालों की हड़ताल हो गई। कारण मुझे याद नहीं। स्कूटर घर में खड़ा हो गया। एक दिन आवश्यक काम के लिए स्कूटर की जरूरत थी, लेकिन उसमे तेल सिर्फ स्टार्ट करने के लायक ही था। ऐसे में मैने स्कूटर स्टार्ट किया और फिर ऊपर से टंकी खोलकर उसमें केरोसीन (मिट्टी का तेल) डाल दिया। मुझे पता था कि ये स्कूटर मिट्टी के तेल से चल सकता है, लेकिन रास्ते में बंद नहीं होना चाहिए। क्योंकि फिर स्टार्ट होने के लिए पहले पेट्रोल की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए पहले कार्बोरेटर साफ करना पड़ेगा। खैर मैं अपना काम निपटा कर वापस घर लौटा। कहीं भी मैने स्कूटर बंद नहीं किया। जहां काम था, वहां भी ईंजन को चालू रखा। घर आने पर कार्बोरेटर को पूरी तरह से साफ किया गया और उसे पेट्रोल से चलने लायक बना दिया। तब मैं स्कूटर चलाकर खुद ही उसका मैकेनिक बन चुका था।
एक शाम मैं अपने दोस्त के साथ स्कूटर पर बैठकर घंटाघर से राजपुर रोड स्थित घर की तरफ जा रहा था। धारा पुलिस चौकी से कुछ दूर आगे निकलते ही स्कूटर पर पीछे से कार ने टक्कर मारी। अचानक लगी टक्कर से मैं संतुलन खो बैठा और उछलकर स्कूटर समेत जा गिरा। स्कूटर की स्पीड कम थी, लेकिन टक्कर काफी तेज। मैं और मेरे दोस्त के स्कूटर समेत गिरने के दौरान इसकी चपेट में एक बुजुर्ग व्यक्ति भी आ गए। मौके पर भीड़ जमा हो गई।
बुजुर्ग व्यक्ति ने मुझे दोषी मानते हुए स्कूटर पकड़ लिया। वह जोर-जोर से हाय-हाय कर रहा था। मैरे दोस्त ने हमें टक्कर मारने वाली कार को रोका। उसे एक महिला चला रही थी। महिला का कहना था कि मैने तुम्हें टक्कर मारी और तुम्हें चोट नहीं आई। तुम्हारी टक्कर से बुजुर्ग व्यक्ति के चोट आई। ऐसे में खुद ही मामला निपटाओ। मैने बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा बाबा कहां-कहां चोट आई। आपको अस्पताल लेकर चलता हूं। इस पर वह और जोर-जोर से चिल्लाने लगा- हाय मैं मर गया। उसकी हर हाय-हाय के साथ मेरी घबराहट बढ़ रही थी। माथे पर पसीना आने लगा और मैं कांप रहा था कि कहीं बुजुर्ग को कुछ न हो जाए।
किसी ने सुझाव दिया कि बुजुर्ग की शायद टांग टूट गई है। तुम दोनो (मैं व कार वाली लड़की) को उसके इलाज के लिए कुछ खर्चा पानी दे देना चाहिए। मैं रकम देने की बजाय अस्पताल में उसका इलाज कराने के पक्ष में था। इस बीच पुलिस भी आ गई। तमाशबीन लोगों की भीड़ में मेरे कई परिचित भी मिल गए। इस बीच मेरा बड़ा भाई भी कुछ पत्रकारों के साथ मौके पर पहुंच गया। तब वह खुद क्राइम रिपोर्टिंग करता था। लगभग उसे हर पुलिस कर्मी जानते थे। इससे मुझमें साहस भी आ गया। पुलिस ने सभी को चौकी में चलने को कहा। महिला चौकी जाने से परहेज कर रही थी, लेकिन बाद में वह भी तैयार हो गई। निकट ही चौकी थी। जो बुजुर्ग टांग टूटने को लेकर कुछ देर पहले तक दहाड़े मार रहा था, वह कुछ कदम लड़खड़ाकर चलने के बाद सामान्य रूप से चलने लगा।
यही नहीं, चौकी जाने की बजाय वह रास्ते से ही खिसक गया। अब चौकी में कार वाली लड़की और मैं ही पहुंचे। मुझे कोई शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचा था। या कहें जो थोड़ा बहुत नुकसान स्कूटर को पहुंचा, उसकी राशि कार वाली महिला से लेने में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी। मैं काफी डर भी गया था। इसलिए मुझे उससे कोई लेना-देना नहीं था। मैने उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया। इस घटना को लेकर मेरे मन में अक्सर यही विचार आता है कि..आखिर इसमें दोष किसका था। उस लड़की का जो ब्रेक नहीं लगा पाई और मेरे स्कूटर में टक्कर मार दी। या मेरा कि गिरते समय मेरा स्कूटर बुजुर्ग से क्यों टकराया। या फिर वह बुजुर्ग, जो सही सलामत टांग को टूटना बताकर काफी देर तक डामा रचता रहा।
भानु बंगवाल





