मनोज राणा के शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि सभा, कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना बोले- आश्रित को अभी तक स्थायी नौकरी क्यों नहीं
इस अवसर पर शहीद मनोज राणा को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए धस्माना ने कहा कि देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों के बलिदान का ऋण कभी भी उतारा नहीं जा सकता। सरकार व समाज को शहीद सैनिकों के परिवारों के लिए ऐसा काम करना चाहिए, जिससे समाज में युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरणा मिल सके। धस्माना ने कहा कि सेना कोई रोजगार का जरिया नहीं है, किंतु जो युवा अपने प्राणों को देश के लिए समर्पित व न्यौछावर करने की भावना से सेना में भर्ती होता है, उस देश की सरकारों व समाज की जिम्मेदारी होती है कि उस सैनिक व उसके परिवार के भविष्य की चिंता सरकार व समाज करे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि वर्ष 2013 की जुलाई 27 को जब वीर मनोज राणा की शहादत का समाचार कांग्रेस नेत्री उर्मिला ने उनको दिया था तब वे तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को उनके घर ले कर गए थे व बाद में शहीद की छोटी बहन पिंकी राणा को रोजगार कार्यालय में सेवा में रखवाने का कार्य किया गया था। धस्माना ने कहा कि आज बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि जिस बिटिया को उन्होंने नौ वर्ष पूर्व रोजगार कार्यालय में शहीद आश्रित के रूप में नियुक्त करवाया था उसने आज उनसे रोते हुए बताया कि आज भी वो स्थायी नहीं हो पाई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि आज जब सेना में जाने की रुचि रखने वाले युवा अग्निपथ जैसी योजना के प्रति पहले ही सशंकित हैं, ऐसे में पिंकी राणा जैसा प्रकरण नौजवानों को और हतोत्साहित करता है। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की कि शहीद मनोज राणा की बहन जिसे शहीद आश्रित के रूप में रोजगार कार्यालय में अस्थायी नियुक्ति मिली थी, उसे तत्काल स्थायी किया जाय। इस अवसर पर शहीद की माता उषा राणा, बहन पिंकी राणा, धनवीर चौहान, मुकेश, रमा, हेमलता, मुश्ताख , राजेन्द्र समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।