टोक्यो ओलंपिकः कांस्य पदक से चूकी भारतीय महिला हॉकी टीम, ग्रेट ब्रिटेन ने 4-3 से हराया, फिर भी जिता दिल
दूसरा क्वार्टर कड़ी टक्कर वाला रहा। इसमें कुल पांच गोल हुए। क्वार्टर के शुरू होते ही आधे मिनट में ही ग्रेट ब्रिटेन ने एक गोल दाग कर 1-0 से बढ़त बना दी। दूसरे क्वार्टर के आठ मिनट के बाद ब्रिटन ने दूसरा गोल दाग दिया। इसके एक मिनट बाद ही गुरजीत कौर ने पैनल्टी कार्नर से गोल कर दिया। इसके कुछ ही देर बाद गुरजीत कौर ने दूसरा गोल कर दिया। कुछ ही क्षण बाद वंदना कटारिया ने भारत के लिए एक और फील्ड गोल दागकर 3-2 से बढ़त दिलाते हुए भारत को शानदार वापसी कराई। पहले भारत दो गोल से पिछड़ रही थी, वहीं इस क्वार्टर की समाप्ति तक भारत एक गोल से आगे हो गई।
तीसरे क्वार्टर की शुरुआत के दो मिनट के भीतर ही ग्रेट ब्रिटेन को पैनेल्टी कार्नर मिला, लेकिन भारत की रक्षा पंगती ने नाकाम कर दिया। इस क्वार्टर के करीब पांचवे मिनट पर ही ग्रेट ब्रिटेन ने एक और फील्ड गोल दागकर स्कोर को 3-3 की बराबरी कर कर दिया। अंतिम क्वार्टर में ग्रेट ब्रिटेन की टीम को कई पैनेल्टी कार्नर मिले। इस क्वार्टर के शुरू होने के करीब ढाई मिनट में ही पैनल्टी कार्नर से गोल कर दिया और ग्रेट ब्रिटेन 4-3 से आगे हो गई। इसके बाद भारतीय महिला हॉकी टीम गोल की बराबरी नहीं कर पाई।
इससे पहले भारत की महिला हॉकी टीम बुधवार चार अगस्त को टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से 2-1 से हार गई थी। ओलंपिक के इतिहास में पहली बार भारतीय महिला टीम सेमीफाइनल में पहुंची थी। पहली बार इतिहास में भारतीय महिला टीम ने मैडल के मुकाबले को लेकर संघर्ष किया।
इससे एक दिन पहले पांच अगस्त को टोक्यो ओलंपिक में कांस्य के लिए पुरुष हॉकी में हुई कांटे की टक्कर में भारत ने जर्मनी पर 5-4 जीत हासिल कर कांस्य पदक जीत लिया था। इसके साथ ही भारत ने 41 साल बाद फिर से पदकों के सूखेपन को तोड़ दिया। इससे पहले वर्ष 1980 में मास्को ओलंपिक में भारत ने स्वर्ण पदक जीता था। चार दशक बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का भारतीय पुरुष हॉकी टीम का सपना दुनिया की नंबर एक टीम बेल्जियम ने तोड़ दिया था।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।