पं. विश्वंभर दत्त चंदोला की 143वीं जयंती पर उत्तराखंड के तीन वरिष्ठ पत्रकारों को किया गया सम्मानित

इस मौके पर सुबोध उनियाल ने विश्वम्भर दत्त चन्दोला के पत्र ‘गढ़वाली’ और उनके उस दौर के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि आज पत्रकारिता से जुड़े लोगों को ‘आर्थिक मिशन’ के बजाय चन्दोला जी के पत्रकारिता मिशन के जज्बे से सीखने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रायपुर विधायक श्री उमेश शर्मा ‘काऊ’ ने कहा कि अक्सर बौद्धिक कार्यक्रमों में नया सीखने को तो मिलता ही है, साथ ही सामाजिक संघर्षों के पुरोधाओं से प्रेरणा भी प्राप्त होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वरिष्ठ पत्रकार सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप’ ने पुराने दौर की पत्रकारिता के संघर्षों को इंगित करते हुए कहा कि वर्तमान में विभिन्न सुविधायें प्राप्त होने के बावजूद भी आज धारदार पत्रकारिता का विलुप्त होना कहीं न कहीं कचोटता है। ऐतिहासिक पत्र-पत्रिकाओं का समुचित सरकारी स्तर पर सहेजने व संयोजित करने के प्रयास पर जोर देते हुए वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत ने आगाह किया कि यदि ऐसा न किया गया तो भावी पीढी ऐतिहासिक संघर्षों व दस्तावेजों की धरोहर को खो देंगे। पत्रकार भगीरथ शर्मा ने अपने पत्रकारिता जीवन के ढ़ाई दशकों के संघर्षों को साझा किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम की अध्यक्षता शोध संस्थान के अध्यक्ष ओपी सकलानी की, तथा संचालन लोकेश नवानी व विजयेश नवानी ने किया। कार्यक्रम में 94वर्षीय शम्भू प्रसाद नवानी, डा. मुनिराम सकलानी, विनोद चन्दोला, डा योगेश धस्माना, डा प्रदीप जोशी, विजय प्रताप मल्ल, आनन्द बहुगुणा, जयदीप सकलानी, अम्बुज शर्मा, ललित मोहन लखेड़ा, जगदीश बावला, प्रदीप कुकरेती, आशीष उनियाल, विक्रम गुसांई, स्वामी एस. चन्द्रा, अनिल रावत, महेश्वर सिंह बघेल, सुनील कुमार मेहता, विकास ठाकुर, शोभा धस्माना, रंजना भण्डारी, बबीता उनियाल, छाया शर्मा, अनिता वोरा, ममता भट्ट आदि कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।