इस बार एक ही दिन पड़ रही है छोटी और बड़ी दीपावली, गोवर्धन पूजा भी होगी एक दिन बाद, गलती से भी ना करें ये काम
यम की पूजा का है विधान
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा का विधान है। नरक चतुर्दशी के दिन घर के दक्षिण दिशा में यम के नाम के एक दीप जलाया जाता है। इसके साथ ही दीपावली पूजन भी इसी दिन होगा। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन कुछ काम नहीं करने चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
अभ्यंग स्नान मुहूर्त – 05:06 सुबह से 06:27 सुबह
नरक चतुर्दशी के दिन चन्द्रोदय का समय – 05:06 सुबह
ना करें ये काम
नरक चतुर्दशी के दिन देर तक सोना नहीं चाहिए। मान्यता है कि इस दिन देर तक सोने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। जिससे घर में दरिद्रता का वास होने लगता है।
नरक चतुर्दशी के दिन घर को पूरी तरह से बंद करके नहीं जाना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन घर के मुख्य द्वार से मां लक्ष्मी का प्रवेश होता है। ऐसे में दरवाजा बंद देखकर मां लक्ष्मी वापस चली जाती हैं।
नरक चतुर्दशी पर भूल से भी मांसाहार भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन किसी भी जीव-जंतुओं को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है।
नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी झाड़ू को पैर नहीं लगाना चाहिए। धर्म शास्त्रों में झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा इस दिन झाड़ू को घर से बाहर नहीं करना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के दिन घर में कलह और क्लेश ना करें. कहा जाता है कि इस दिन ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि नहीं होती है। इससे घर में गरीबी का वास होने लगता है।
नरक चतुर्दशी के दिन घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी गंदगी इकट्ठा नहीं करना चाहिए। दरअसल दक्षिण दिशा में यम का वास होता है। ऐसे में इस दिशा में गंदगी फैलाने से यम देल नाराज है जाते हैं।
नरक चतुर्दशी के दिन चाहकर भी तेल का दान नहीं करना चाहिए. माना जाता है कि इससे घर की लक्ष्मी रूठकर चली जाती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक दिन बाद होगी गोवर्धन पूजा
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस, चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या को दीपावली मनायी जाती है। इस बार तीनों त्योहारों की तिथियों को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण लग रहा है। इसलिए 24 अक्टूबर को ही नरक चतुर्दशी और दीपावली मनेगी। सूर्य ग्रहण के कारण इस बार गोवर्धन पूजा 25 की जगह 26 को होगी और 27 अक्टूबर को भाई दूज और चित्रगुप्त भगवान की पूजा होगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जो शुभ फलदाई होगा। हालांकि ग्रहण के कारण कई व्रत और त्योहार प्रभावित होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक, धनतेरस 22 अक्टूबर शनिवार को है। इसे शनि प्रदोष का नाम दिया जा रहा है। सप्तमी तिथि की वृद्धि होने कारण इस बार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर की शाम 5.04 से आरंभ हो रही है जो 24 अक्टूबर की शाम 5.04 तक है। उसके बाद अमावस्या तिथि का मान मिल रहा है जो संपूर्ण रात्रि तक का भोग कर रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
25 को अमावस्या होने पर भी दीपावली नहीं मनायी जाएगी। क्योंकि, 25 को सूर्यग्रहण का प्रकोप रहेगा। ऐसे में 24 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी। 25 को प्रात:काल 4.20 (ब्रह्म मुहूर्त ) से ही ग्रहण का सूतक शुरू हो रहा है। सूर्यग्रहण का समय संध्या 4.22 से शुरू होगा और मोक्ष 5.30 पर होगा। ऐसे में गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को होगी। इतना ही नहीं साथ ही कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावली) पर भी चन्द्रग्रहण का प्रकोप होगा। पूर्णिमा आठ नवंबर को है। दीपावली पर ऐन्द्र और मित्र योग का संयोग बन रहा है। शुभ योग में महालक्ष्मी,कुबेर आदि का पूजन होगा। 26 अक्टूबर को गोवर्द्धन पूजा होगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।