इस बार पांच नहीं, छह दिन मनाया जाएगा दिवाली महोत्सव, धनतेरस पर 100 साल बाद दुर्लभ संयोग, पूरे दिन करें खरीददारी
होली और दीपावली ऐसे त्योहार हैं, जिनका हिंदुओं में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को इंतजार रहता है। इस पार प्रकाश पर्व दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर को है। बात यदि दिवाली की हो तो ये त्योहार पांच दिन का होता है। इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। फिर छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार इस पंच दिवसीय पर्व में कुछ पेंच लग गए। ऐसे में ये त्योहार पंच दिवसीय ना होकर छह दिन का होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बार ऐसी होगी दीपावली
दीपावली पर पूजन का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर को स्थिर लग्न वृषभ सायं 6:27 बजे से रात 8:23 बजे तक है। यह सबसे उत्तम मुहूर्त है। इसके बाद स्थिर लग्न सिंह मध्य रात्रि 12:53 बजे से भोर 3:09 बजे तक होगा। पंच दिवसीय पर्व अपने आप में महत्वपूर्ण है, लेकिन इस बार पांच दिन के बजाय प्रकाश पर्व 6 दिन का होने के पीछे ज्योतिष गणना का एक बड़ा कारण है। वो ये है कि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन अमावस्या है। अमावस्या को ही दिवाली मनाई जाती है। ऐसे में 31 तारीख को दीपावली मनाई जाएगी और 1 तारीख को स्नान दान की अमावस्या होगी। इस दिन कोई त्यौहार तो नहीं है, लेकिन स्नान और दान पुण्य का विधान उत्तम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह मनेगा छह दिन का पर्व
29 अक्टूबर को धन त्रयोदशी धन्वंतरि जयंती यानि कि धनतेरस है। 30 अक्टूबर को हनुमान जयंती और नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावली मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को दीपावली और महालक्ष्मी और गणेश का पूजन का विधान है। एक नवंबर को कोई पर्व नहीं है, लेकिन अमावस्या शाम को 5:13 बजे तक होने की वजह से इस दिन दान पुण्य और स्नान करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इसके अलावा दो नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा। दो नवंबर को ही अन्नकूट का पर्व संपन्न होगा। तीन नवंबर को भाई दूज के साथ यम द्वितीया का पर्व मनाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दीपावली मुहूर्त
इस बार दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर व एक नवंबर दो दिन है। कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दिन में 3:12 बजे लग रही है, जो एक नवंबर को सायं 5:13 बजे तक है। एक नवंबर को सूर्यास्त सायं 5:32 बजे पर होगा। कार्तिक अमावस्या सूर्यास्त से पूर्व 5:13 बजे खत्म होगी। एक नवंबर को ही सायं 5:13 बजे के बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। एक नवंबर को प्रदोष काल व निशिथकाल दोनों में कार्तिक अमावस्या न मिलने से 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
घनतेरस का त्योहार
धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस दिन धनवंतरि जयंती का भी त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन शाम में माता लक्ष्मी और धन कुबेर का पूजन करने का विधान है। इसके लिए शाम 6:35 बजे से रात 8:31 बजे तक पूजन पाठ संपन्न करना होगा यह स्थिर लग्न है। इसके अलावा धन त्रयोदशी वाले दिन अपने घर के ड्योढ़ी पर चौमुखा मुख वाला दीपक भी जलाना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नरक चतुर्दशी व हनुमान जयंती
30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी व हनुमान जयंती मनाई जाएगी। क्योंकि हनुमान जी का जन्म वृषभ लग्न में हुआ था। इसलिए शाम 4:54 बजे से 6:31 बजे तक हनुमान जन्म व पूजन संपन्न करना होगा। इसी दिन छोटी दिवाली भी मनाई जाएगी।
दीपावली और महालक्ष्मी-गणेश पूजून
31 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष व्यापिनी होने की वजह से इसी दिन दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा। शाम 6:27 बजे से रात 8:23 बजे तक दृश्य लग्न स्थिर होगा। इस समय मां लक्ष्मी का पूजन विशेष फलदाई माना जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमावस्या
दीपावली को लेकर भ्रम है। इसलिए एक नवंबर को भी बहुत जगह पर दीपावली मनाई जाएगी। एक नवंबर को कोई भी त्योहार ना होने की वजह से इस दिन पांच दिवसीय पर्व के क्रम में अमावस्या का दान और स्नान पूरा किया जाएगा और शाम को दीपक भी जलाए जाएंगे। हालांकि, दीपावली 31 अक्टूबर को ही ज्यादातर जगहों में मनाई जाएगी।
अन्नकूट व गोवर्धन पूजा
दो नवंबर को कई स्थानों में गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा और मंदिरों में अन्नकूट के साथ घरों में भी अन्नकूट का भोग भगवान को अर्पित किया जाएगा। इस दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की परंपरा का निभाई जाएगी।
भाई दूज
तीन नवंबर को इस पांच दिवसीय पर्व के क्रम में भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा। भाई अपनी बहनों के घर जाकर टीका लगवाएंगे और भोजन ग्रहण करेंगे। इसी दिन यम द्वितीया का भी त्योहार मनाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धनतेरस का महत्व
धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को है। धनतेरस का नाम ‘धन’ और ‘तेरस’ से बना है। इसमें धन का मतलब संपत्ति और समृद्धि है और तेरस का अर्थ हिंदू कैलेंडर की 13वीं तिथि है। माना जाता है कि इस दिन भगवान धन्वतरि आरोग्यता के देवता हैं और इनकी पूजा-अर्चना करने से अच्छी सेहत और रोगों से मुक्ति मिलती है। ग्रंथों में उत्तम स्वास्थ को ही असली धन माना गया है। हालांकि, धनतेरस के दिन कुबेर देव और लक्ष्मी जी की पूजा का भी विधान है। धनतेरस पर इस बार धन वृद्धि का दुर्लभ संयोग बन रहा है, ऐसे में इस दिन शुभ कार्य आंख बंद करके कर सकते हैं।
धनतेरस पर 100 साल बाद दुर्लभ संयोग
धनतेरस पर इस बार 100 साल बाद दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। धनत्रयोदशी याननी धनतेरस के दिन त्रिग्रही योग, त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, लक्ष्मी नारायण योग, शश महापुरुष राजयोग कुल पांच शुभ संयोग बन रहे हैं। ऐसे में पूजा और खरीदारी का विशेष लाभ मिलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धनतेरस पर करें ये शुभ कार्य करें
-धनतेरस पर सोने और चांदी या बर्तन की खरीदारी करनी चाहिए। इससे घर में बरकत होती है।
-धनतेरस पर आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
-घर के मुख्य दरवाजे पर यमदेव देवता का ध्यान करके दक्षिण दिशा पर दीपक स्थापित करना चाहिए। इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं होता।
-धनतेरस पर वाहन, संपत्ति, घर, बही खाता, जमीन, भूमि, भवन, ज्वैलरी आदि की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी घर में वास करती है।
-अगर धनतेरस पर महंगी चीजें नहीं खरीद सकते तो आप दक्षिणावर्ती शंख, नमक, धनिया, धातु का बर्तन जरुर खरीदें. इससे सुख-सौभाग्य और अच्छा स्वास्थ मिलता है।
धनतेरस पर खरीदारी का समय
29 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह 10.31 मिनट से 30 अक्टूबर 6.32 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा। पूरा दिन खरीददारी के लिए शुभ है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।