इस बार कड़ाके की सर्दी और बर्फ से अटे पहाड़ों में 52 साधु करेंगे गंगोत्री में साधना, बर्फ पिघलाकर एकत्र करते हैं पानी

सर्दियों में गंगोत्री धाम में अधिकांश हर दिन बर्फबारी होती है। ऐसे में यहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है। पारा भी शून्य से नीचे माइनस में गिर जाता है। वहीं, भागीरथी गंगा नदी भी बर्फ से ढक जाती है। नदी के नाम पर सिर्फ पतली सी धारा नजर आने लगती है। इस धारा में ही सुबह के समय साधु स्नान को जाते हैं। वहीं, बर्फ को पिघलाकर उससे पीने योग्य पानी लिया जाता है। कठिन दिनचर्या के साथ वहां साधु संत कड़ी साधना करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बताया जा रहा है कि इन स्थलों तक पहुंचे अधिकांश साधु-संत हर साल शीतकाल में साधना करते आए हैं। इस दौरान लगभग तीन माह गंगोत्री क्षेत्र पूरी तरह बर्फ से ढका रहता है। ऐसे में पीने के पानी की व्यवस्था भी बर्फ को पिघलाकर करनी पड़ती है। साधना अवधि के लिए राशन की व्यवस्था पहले ही कर दी जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पिछले वर्षों तक पुलिस और प्रशासन के पास साधना करने वाले साधु-संतों का सही आंकड़ा नहीं होता था। इस बार पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी के निर्देश पर इन साधु-संतों का रिकार्ड जुटाया गया। ताकि आपात स्थिति में उनकी मदद की जा सके। साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से उनका सत्यापन भी किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी कड़ी में पुलिस ने रविवार को गंगोत्री धाम पहुंचकर साधु-संतों के सत्यापन की कार्यवाही की। अभी तक 45 साधु-संतों का सत्यापन किया जा चुका है। हर्षिल के थानाध्यक्ष दिगमोहन बिष्ट ने बताया कि गंगोत्री क्षेत्र में इस बार 52 साधु-संत शीतकाल में निवास करेंगे। इनमें से भोजवासा, तपोवन व कनखू बैरियर में रहने वाले सात साधु-संतों का सत्यापन होना बाकी है। चिह्नीकरण सभी का हो चुका है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।